केवाँच या कौच उपयोग,  MUCUNA PRURIENS/ KAUNCH BEEJ Benefits, Uses 


 




शुक्रवर्धक व बाजीकरन औषधियों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है, आयुर्वेद ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है, इसकी बेला या लताएं होती हैं और यह समस्त भारत में पाई जाती है, इसको घरों में भी उगाते हैं और जंगल में स्वयं उग  आती है, इसकी शाखाएं बड़ी कोमल और रोमिली होती है, इन रोमों के शरीर में लग जाने से खुजली जलन व सूजन आ जाती है, तथापि फलियों को बाल और छीलकर उसकी सब्जी बनाई जाती है, जो स्वादिष्ट और पोषक होती है ।



केवाच की लता 1 वर्षीय और चक्ररोही होती है, यह वर्षा ऋतु में पैदा होती है तथा शरद और हेमंत में इसमें फल और फूल आते हैं। इसकी पत्तियां 2 ½  से 7 ½  इंच तक लंबी सेम की पत्तियों के समान किंतु नीचे रूम युक्त, हल्का कालापन लिए हुए और त्रियज्क रूप में होती है, पत्तों के पास से ही पुष्पदंड निकलते हैं जो प्राय: ½ फुट से 1 फुट नीचे लटकते रहते हैं, इनमे 10 से 20 तक बैगनी रानह के फूल होते है, केवाच की फलियां 2 से 3 इंच लंबी और ½ इंच चौड़ी होती है, जो अंग्रेजी के एस की भांति होती है, इन पर घने रॉम होते है, प्रत्येक फली मे 4 से 6 बीज होते है जो ऊपर से काले ओर अंदर से सफेद होते है ।




विविध नाम हिन्दी- किवाच, कौच, इंगलिश - Cowhage, Cow itch, Velvet beans

लेटिन – मुकूना प्रोरिता



उपयोगी अंक – बी, पत्ते, मूल। 



समान मात्रा - बीजों का चूर्ण 2 से 5 ग्राम तक, क्वाथ 20 ग्राम से 40 ग्राम,




संग्रहण एवं संरक्षण- केवाच की फलियों को लंबी लकड़ियों से खींचकर चिमटे आदि से पकड़कर काट लेना चाहिए, फिर लकड़ी से ही फोड़कर बीज निकाल लेना चाहिए, तथापि हाथों में तेल लगा ले अन्यथा जरा सा रोम छू जाने पर जलन, खुजली सूजन आदि हो जाएगी।  फलियों को पानी में उबालकर भी सहज रूप से बीज निकाले जा सकते हैं,






गुणधर्म - यह उष्णवीर्य, स्निग्ध, मधुर, तिक्त होता है। यह बलवर्धक, वीर्य वर्धक तथा बाजीकारक है, इसके अतिरिक्त यह कृमि नाशक भी है ।  



विविध प्रयोग एवं उपयोग



केवाच पाक -  केवाच के बीज पानी में उबाल लें और उसके छिलके उतार डालें, यह बीज 250 ग्राम सिल पर महीन महीन पीस लें। फिर एक कढ़ाई में इन पिसे बीजों को डालकर इनमें 3 किलो दूध मिलाकर औटाये ओर बराबर चलाते रहें, जब गुण दूध गाढ़ा होकर खोया जैसा हो जाए तो इसमें 50 ग्राम देशी घी मिलाकर हल्का हल्का भून लें। अब इसमें 350 ग्राम पिसी हुई चीनी और इन दवाओं को कूट-पीसकर छानकर मिला लें – अकरकरा, छोटी इलायची के दाने, सोठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी सब 15-15 ग्राम । मात्रा - 15 से 20 ग्राम तक सुबह-शाम दूध के साथ ले। इसके सेवन से बल वीर्य में वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है, इससे हर तरह के प्रमेह दूर होते हैं एवं ग्रस्त जीवन आनंद से  बिकता है । शीत ऋतु में इसे 40 दिन सेवन कारना चाहिए है । 




हलवा - बीजों की छिलका रहित गिरी 10 ग्राम को चूर्ण कर ले। इसमें 25 - 30 ग्राम रवा या गेहूं का दलिया मिलाकर 500 ग्राम दूध में पकावे, यह खीर सी बन जाएगी। इसमें चीनी और दो-तीन चम्मच देसी घी मिलाकर सुबह-शाम नाश्ते में ले।  स्त्री पुरुषों की शक्ति संचय हेतु एवं प्रदर प्रमेह में समान रूप से परम उपयोगी है ।



शक्ति दादा चूर्ण - छिलका हित केवाच बीज और गोखरू कूट-पीस छानकर रख लें, फिर इसमें समान मात्रा मिश्री या चीनी मिलाये, मात्रा  5 से 7 ग्राम तक सुबह-शाम दूध के साथ लेते रहने से हर प्रकार की पुरुषत्वहीनता, धातु क्षीणता, दुर्बलता दूर होकर स्त्री-पुरुषों का शरीर पुष्ट बन जाता है ।

(विशेष - केवाच के रो लग जाने पर पहले वहां गोबर लगा दे, फिर गर्म पानी से धो डालें, बाद में आटे की लोई में घी लगाकर इस पर फिरते रहे तो रूम छूट जाएंगे और जलन शांत हो जाएंगी)






कौंच बीज/Kaunch Beej महिलाओ और पुरुषो मे काम की इच्छा अर्थात सेक्स ड्राइव बढाता है. यह दोनो की प्रजनन प्रणालियों को पुनर्जीवित करता है.





जिन लोगो को समय से पहले स्खलन (premature ejaculation) और इरेक्टाइल  डिसफंक्शन की समस्या होती है उनके लिये ये लाभदायक होता है.





कौंच बीज/Kaunch Beej का पाउडर शुक्राणु बढ़ाने में भी उपयोगी है. यह पुरुष बांझपन (male infertility) को दूर करता है.





इसके अलावा ये पेट गैस और जोड़ो के दर्द को दूर करने, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के रोगियो के लिये भी लाभदायक है.





कौंच बीज/Kaunch Beej का पाउडर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है.



कौंच बीज पाउडर – इसे 2 से 6 ग्राम दिन मे दो बार गुनगुने पानी या गर्म दूध मे खाली पेट या दूध के साथ लिया जा सकता है




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