आंखें (नेत्र) की रक्षा कैसे करे? How to protect eyes?
आंखें वहां इंद्रियां है इनके द्वारा हमारी भीतरी मशीन बाहर की सारी वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करती हैं । हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेंद्रियों में आंख सबसे अधिक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रिय है, आंखें अमूल्य है फिर भी हम उन्हें अच्छी स्थिति में रखने के लिए कुछ भी नहीं करते, कुछ करना चाहिए ऐसा विचार तक नहीं करते, सब कुछ भगवान के भरोसे चलने देते हैं । आंखें हैं तो जहान है । वैसे प्रकृति ने हमारे आंखों की रक्षा का प्रबंध बहुत ही अच्छे ढंग से कर रखा है, हड्डियों से बने हुए कटोरे जिनमें हमारे नेत्र रहते हैं, भली प्रकार से उनकी रक्षा करते हैं । आंखों के आगे वाले भाग की रक्षा के लिए चुस्त सैनिकों की तरह दो पलके है जो धूल मिट्टी आदि कणों से आंखों की रक्षा करती है। आंखें की भीतरी बनावट और व्यवस्था भी इस प्रकार है कि पूरी आयु हमारी आंखें स्वस्थ रह सकती है, आवश्यकता सिर्फ उचित आहार-विहार की है ।
अच्छी आंखों के लिए अच्छा स्वास्थ होना जरूरी है । आंखें भी शरीर का एक हिस्सा है, शरीर अस्वस्थ हो और उसके कारण यदि आंखें खराब हो रही हो तो ऐसी स्थिति में शरीर में शारीरिक तकलीफों की उपेक्षा करके केवल आंखों का इलाज कराने से सफलता नहीं मिलती । जटिल नेत्र रोगों के कारण जब दृष्टि स्नायु बिल्कुल सूख जाता है तब आदमी अंधा हो जाता है, यह रोग असाध्य है, किंतु यदि केवल दृष्टिहीनता की ही शिकायत हो तो उसे ठीक किया जा सकता है। साधारण तौर पर नेत्रों में जरा भी खराबी होते ही लोग चश्मा लगाते हैं। यह बुरा है, क्योंकि चश्मा लगाना कमजोर नजर की चिकित्सा नहीं है। उल्टे, नजरें कमजोर किस दोष के कारण हुई है, उसकी तरफ से रोगी अपना ध्यान हटा देता है, जिससे आगे जाकर उसे लाभ के स्थान पर हानि ही अधिक होती है। चश्मा लगाने की आदत से छुटकारा पाना ही बुद्धिमानी का काम है। आंखें अनेक कारणों से खराब हो सकती है ।
आंखों की चिकित्सा -
प्रतिदिन अधिक से अधिक हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। सब्जियों में ज्यादातर पत्ता गोभी, मटर, करेले, चौलाई, पालक, मेथी की भाजी, सहजन की पत्तियां और फलियां, हरा धनिया, हरी मिर्च, पुदीना आदि का अधिक से अधिक सेवन करें ।
खीरा, ककड़ी, मूली, टमाटर आदि सलाद के रूप में खाएं ।
प्रतिदिन पांच पत्ती तुलसी की, एक काली मिर्च, थोड़ी सी मिश्री चबाकर खाएं।
गाजर और चुकंदर का रस निकालकर पिए ।
रात को पांच बदाम की गिरी भिगोकर रखें, सुबह छिलका उतारकर चबा चबा कर खाए, उसके बाद दूध पी ले,
प्रतिदिन आंवले का एक मुरब्बा खाएं क्योंकि आंवले में विटामिन सी होता है । जिन दिनों ताजे आंवले मिल रहे हो उन दिनों आंवले का 25-50 ग्राम रस निकालकर पीए।
सुबह-शाम सौंफ में चीनी मिलाकर 1/2 चम्मच खाएं, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।
फलों में संतरे, मौसमी, अमरूद, जामुन, सेब, अनानास आदि का सेवन करें ।
प्रतिदिन प्रातः काल ठंडे पानी में एक नींबू का रस निचोड़ कर उस खट्टे पानी का सेवन करें ।
हरी धनिया को धोकर उसको पीसकर रस निकालें, उसे छानकर दो-दो बूंदें दोनों आंखों में डालें ।
सप्ताह में दो बार कच्चे आलू को घिसकर उसे आंखों के ऊपर रखे और 10 मिनट बाद आंखों को धो ले ।
आंखों के लिए व्यायाम- आंखों को ऊपर नीचे दाएं बाएं घुमाने का व्यायाम दिन में सुबह शाम जरूर करें।
रात को सोते समय कांसे के कटोरे से देसी घी लगाकर पांव के तलवों पर 10 - 10 मिनट घिसे, पांव काले हो जाएं तो कपड़ों से पोछें, पानी से नहीं धोए ।
काम के बीच-बीच में 4 मिनट आंखें बंद करके बैठे, तो आंखों को आराम मिलेगा।
आंखों की जल द्वारा चिकित्सा :-
प्रतिदिन सुबह दोपहर शाम को ठंडे पानी से आंखें धोने चाहिए, इससे आंखों की गर्मी निकल जाती है। यदि हो सके तो पानी में गुलाब जल मिलाकर रखें व इससे आंखें धोनी चाहिए।
रात को किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखना चाहिए, सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखों को धोना चाहिए ।
सुबह की ओस पलकों पर आंखों के भीतर लगाएं, इसमें बहुत राहत मिलती है।
ठंडे पानी की धारा सिर पर लेने से नेत्रों में खूब शक्ति बढ़ती है।
सुबह उठते ही कुल्ला करके मुंह में ठंडा पानी भर लेना चाहिए, पानी को कम से कम 1 मिनट तक मुंह के अंदर रखें, इस बीच आंखों पर ठंडे पानी के छींटे लगाते हुए धीरे-धीरे पलकों को मसले, 1 मिनट बाद मुह का पानी थूक दे व दोबारा यही क्रम दोहराएं ।
नेत्र स्नान- जिस प्रकार समूचे शरीर को स्नान की जरूरत होती है, उसी तरह आंखों का स्नान भी आवश्यक है। आंखों की बनावट कुछ इस तरह से की गई है कि स्नान के समय या मुंह धोते समय आंखे बंद हो जाती है । इस कारण आंखों के भीतरी भाग की सफाई नहीं हो पाती है, इस कारण नेत्र स्नान के लिए किसी कांच की जोड़ी कटोरी में ठंडा पानी भरेंगे, अब आंखों को उस पानी भरी प्याली में खोलेंगे व बंद करेंगे, फिर नेत्रों को जल के भीतर दो चार बार इधर-उधर घुमाएं ।
बचाव -
कंप्यूटर पर लगातार काम करने से उसकी स्क्रीन से निकलती हुई रोशनी से बचना चाहिए, क्योंकि यह आंखों के लिए हानिकारक है । कंप्यूटर स्क्रीन पर एंटी ग्लेयर ग्लासेस का प्रयोग अवश्य करें ।
पढ़ते समय या आंखों पर जोड़ पड़ने वाले काम करते समय आंखों को बीच-बीच में विश्राम भी दे । उसके लिए कुछ क्षण के लिए आंखें बंद कर ले या अपनी दृष्टि को किसी दूरी की वस्तु पर स्थिर कर लेना चाहिए ।
पढ़ते समय ट्यूबलाइट की रोशनी काम में लाएं, पढ़ते और लिखते समय टेबल कुर्सी पर ही बैठकर पढ़े, किताब और आंखों के बीच कम से कम 1 फुट की दूरी रखें,
चलती हुई रेलगाड़ी ,बस अथवा लेटे हुए, टिमटिमाते या मध्यम प्रकाश में नहीं पढ़ना चाहिए,
बहुत बारीक अक्षरों की किताब भी लगातार नहीं पढ़े, इनसे आंखों पर जोर पड़ता है ।
इस प्रकार आंखों का खास ध्यान रखते हुए उपचार करने चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर के सभी अंगों में सिर्फ आंखें ही ऐसा एकमात्र अंग है, जिसका हमारी मनोभावना से सीधा संबंध होता है, आंखें हमारी मनोभावना की अभिव्यक्ति करती है, हमारी आंखें दिल का आईना होती है।
आंखें वहां इंद्रियां है इनके द्वारा हमारी भीतरी मशीन बाहर की सारी वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करती हैं । हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेंद्रियों में आंख सबसे अधिक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रिय है, आंखें अमूल्य है फिर भी हम उन्हें अच्छी स्थिति में रखने के लिए कुछ भी नहीं करते, कुछ करना चाहिए ऐसा विचार तक नहीं करते, सब कुछ भगवान के भरोसे चलने देते हैं । आंखें हैं तो जहान है । वैसे प्रकृति ने हमारे आंखों की रक्षा का प्रबंध बहुत ही अच्छे ढंग से कर रखा है, हड्डियों से बने हुए कटोरे जिनमें हमारे नेत्र रहते हैं, भली प्रकार से उनकी रक्षा करते हैं । आंखों के आगे वाले भाग की रक्षा के लिए चुस्त सैनिकों की तरह दो पलके है जो धूल मिट्टी आदि कणों से आंखों की रक्षा करती है। आंखें की भीतरी बनावट और व्यवस्था भी इस प्रकार है कि पूरी आयु हमारी आंखें स्वस्थ रह सकती है, आवश्यकता सिर्फ उचित आहार-विहार की है ।
अच्छी आंखों के लिए अच्छा स्वास्थ होना जरूरी है । आंखें भी शरीर का एक हिस्सा है, शरीर अस्वस्थ हो और उसके कारण यदि आंखें खराब हो रही हो तो ऐसी स्थिति में शरीर में शारीरिक तकलीफों की उपेक्षा करके केवल आंखों का इलाज कराने से सफलता नहीं मिलती । जटिल नेत्र रोगों के कारण जब दृष्टि स्नायु बिल्कुल सूख जाता है तब आदमी अंधा हो जाता है, यह रोग असाध्य है, किंतु यदि केवल दृष्टिहीनता की ही शिकायत हो तो उसे ठीक किया जा सकता है। साधारण तौर पर नेत्रों में जरा भी खराबी होते ही लोग चश्मा लगाते हैं। यह बुरा है, क्योंकि चश्मा लगाना कमजोर नजर की चिकित्सा नहीं है। उल्टे, नजरें कमजोर किस दोष के कारण हुई है, उसकी तरफ से रोगी अपना ध्यान हटा देता है, जिससे आगे जाकर उसे लाभ के स्थान पर हानि ही अधिक होती है। चश्मा लगाने की आदत से छुटकारा पाना ही बुद्धिमानी का काम है। आंखें अनेक कारणों से खराब हो सकती है ।
आंखों की चिकित्सा -
प्रतिदिन अधिक से अधिक हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। सब्जियों में ज्यादातर पत्ता गोभी, मटर, करेले, चौलाई, पालक, मेथी की भाजी, सहजन की पत्तियां और फलियां, हरा धनिया, हरी मिर्च, पुदीना आदि का अधिक से अधिक सेवन करें ।
खीरा, ककड़ी, मूली, टमाटर आदि सलाद के रूप में खाएं ।
प्रतिदिन पांच पत्ती तुलसी की, एक काली मिर्च, थोड़ी सी मिश्री चबाकर खाएं।
गाजर और चुकंदर का रस निकालकर पिए ।
रात को पांच बदाम की गिरी भिगोकर रखें, सुबह छिलका उतारकर चबा चबा कर खाए, उसके बाद दूध पी ले,
प्रतिदिन आंवले का एक मुरब्बा खाएं क्योंकि आंवले में विटामिन सी होता है । जिन दिनों ताजे आंवले मिल रहे हो उन दिनों आंवले का 25-50 ग्राम रस निकालकर पीए।
सुबह-शाम सौंफ में चीनी मिलाकर 1/2 चम्मच खाएं, इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।
फलों में संतरे, मौसमी, अमरूद, जामुन, सेब, अनानास आदि का सेवन करें ।
प्रतिदिन प्रातः काल ठंडे पानी में एक नींबू का रस निचोड़ कर उस खट्टे पानी का सेवन करें ।
हरी धनिया को धोकर उसको पीसकर रस निकालें, उसे छानकर दो-दो बूंदें दोनों आंखों में डालें ।
सप्ताह में दो बार कच्चे आलू को घिसकर उसे आंखों के ऊपर रखे और 10 मिनट बाद आंखों को धो ले ।
आंखों के लिए व्यायाम- आंखों को ऊपर नीचे दाएं बाएं घुमाने का व्यायाम दिन में सुबह शाम जरूर करें।
रात को सोते समय कांसे के कटोरे से देसी घी लगाकर पांव के तलवों पर 10 - 10 मिनट घिसे, पांव काले हो जाएं तो कपड़ों से पोछें, पानी से नहीं धोए ।
काम के बीच-बीच में 4 मिनट आंखें बंद करके बैठे, तो आंखों को आराम मिलेगा।
आंखों की जल द्वारा चिकित्सा :-
प्रतिदिन सुबह दोपहर शाम को ठंडे पानी से आंखें धोने चाहिए, इससे आंखों की गर्मी निकल जाती है। यदि हो सके तो पानी में गुलाब जल मिलाकर रखें व इससे आंखें धोनी चाहिए।
रात को किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखना चाहिए, सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखों को धोना चाहिए ।
सुबह की ओस पलकों पर आंखों के भीतर लगाएं, इसमें बहुत राहत मिलती है।
ठंडे पानी की धारा सिर पर लेने से नेत्रों में खूब शक्ति बढ़ती है।
सुबह उठते ही कुल्ला करके मुंह में ठंडा पानी भर लेना चाहिए, पानी को कम से कम 1 मिनट तक मुंह के अंदर रखें, इस बीच आंखों पर ठंडे पानी के छींटे लगाते हुए धीरे-धीरे पलकों को मसले, 1 मिनट बाद मुह का पानी थूक दे व दोबारा यही क्रम दोहराएं ।
नेत्र स्नान- जिस प्रकार समूचे शरीर को स्नान की जरूरत होती है, उसी तरह आंखों का स्नान भी आवश्यक है। आंखों की बनावट कुछ इस तरह से की गई है कि स्नान के समय या मुंह धोते समय आंखे बंद हो जाती है । इस कारण आंखों के भीतरी भाग की सफाई नहीं हो पाती है, इस कारण नेत्र स्नान के लिए किसी कांच की जोड़ी कटोरी में ठंडा पानी भरेंगे, अब आंखों को उस पानी भरी प्याली में खोलेंगे व बंद करेंगे, फिर नेत्रों को जल के भीतर दो चार बार इधर-उधर घुमाएं ।
बचाव -
कंप्यूटर पर लगातार काम करने से उसकी स्क्रीन से निकलती हुई रोशनी से बचना चाहिए, क्योंकि यह आंखों के लिए हानिकारक है । कंप्यूटर स्क्रीन पर एंटी ग्लेयर ग्लासेस का प्रयोग अवश्य करें ।
पढ़ते समय या आंखों पर जोड़ पड़ने वाले काम करते समय आंखों को बीच-बीच में विश्राम भी दे । उसके लिए कुछ क्षण के लिए आंखें बंद कर ले या अपनी दृष्टि को किसी दूरी की वस्तु पर स्थिर कर लेना चाहिए ।
पढ़ते समय ट्यूबलाइट की रोशनी काम में लाएं, पढ़ते और लिखते समय टेबल कुर्सी पर ही बैठकर पढ़े, किताब और आंखों के बीच कम से कम 1 फुट की दूरी रखें,
चलती हुई रेलगाड़ी ,बस अथवा लेटे हुए, टिमटिमाते या मध्यम प्रकाश में नहीं पढ़ना चाहिए,
बहुत बारीक अक्षरों की किताब भी लगातार नहीं पढ़े, इनसे आंखों पर जोर पड़ता है ।
इस प्रकार आंखों का खास ध्यान रखते हुए उपचार करने चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर के सभी अंगों में सिर्फ आंखें ही ऐसा एकमात्र अंग है, जिसका हमारी मनोभावना से सीधा संबंध होता है, आंखें हमारी मनोभावना की अभिव्यक्ति करती है, हमारी आंखें दिल का आईना होती है।
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