आंवला के फायदे, उपयोग और
नुकसान – Amla Benefits, Uses and Side Effects॰
आंवला भारत का एक अति प्रसिद्ध औषधि फल है, यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात एवं सामान्य रूप से समस्त राज्यों में होता है। इसके पेड़ बगीचों में भी लगाए जाते हैं और जंगलों में भी होते हैं। इसका पेड़ सामान्य आकार वाला और शाखा प्रशाखाओ में फैला हुआ होता है, तने का रंग धूसर या राख के रंग का होता है। इसके पत्ते इमली के रंग के हरे व पिताभ इमली के पत्तों की तरह होते हैं। इसके फूल पतझड़ के बाद बसंत में आते हैं, फूल हरापन लिए पीले और मुख्यत: पत्तों के नीचे की तरफ छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं। जुलाई-अगस्त में इसके फल आने लगते हैं जो अक्टूबर-नवंबर में बड़े हो जाते हैं तथा फरवरी-मार्च में पक जाते हैं । आंवले के फल पीलापन लिए हुए हरे गहरे रंग के गोल और चिकने होते हैं, जो खरबूजे की तरह धारियों से युक्त होते हैं, इसका स्वाद पहले कसैला पर लिए हुए खट्टा रहता है, बाद में मीठा मालूम होता है, आंवला खाकर पानी पीने से मिठास लगती है, आंवले की गुठली सख्त और 6 फलों वाली होती है, कलमी आवला रेशा रहित व अंडे से भी बड़े आकार का होता है तथा सामान्य आंवले अंडे से बहुत छोटे तथा रेशे वाले होते हैं । आंवला को आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. हम आंवला हर रोज़ के खान पान में प्रयोग करके बहुत सी बिमारियों को दूर कर सकते है. आवला के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ा सकते है।
विभिन्न नाम - संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी व पंचरसा, अरबी में आमलज, फारसी में आमलह, हिंदी में आंमला, आंवला आदि तथा लेटिन में एम्बलिका आफिसिनेलिस कहते हैं ।
गुणधर्म - आंवला कसैला, अम्लता लिए हुए कड़वा, मधुर, हल्का, रुक्ष, शीतल, त्रिदोष या वात पित्त कफ नाशक होता है, इसके फल यकृत पोषक, मृदु रेचक, दीपन, रसायन, नेत्रों के लिए हितकर, केशो को काला मजबूत व मुलायम करने वाला और दहनाशक है, यह धातुवर्धक, वीर्यशोधक और शरीर की कांति बढ़ाने वाला होता है, सूखे आंवले में यह तत्त्व कुछ कम हो जाते हैं ।
आंवला विटामिन सी का प्रचुर भंडार होता है, 100 ग्राम आंवले में लगभग 600 से 900 मिलीग्राम तक विटामिन सी मिलता है, विशेषता यह है कि सूखने और उबालने पर भी आंवले में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी बचा रहता है, कृत्रिम रूप से बनाए गए विटामिन सी की अपेक्षा आंवले का विटामिन सी शीघ्र पचता है और लगता है, इसे जुकाम और कास-श्वान से क्षीण रोगियों पर परीक्षण करके भी उपयोगी पाया गया है ।
आंवले की प्रमुख औषधियां - च्यवनप्राश अवलेह, आमलकी रसायन, धात्री लौह, अमृत प्राश, त्रिफला, आंवले का मुरब्बा, ब्रह्मी-आंवला केश तेल ।
विविध प्रयोग और उपयोग
सरल प्रयोग - सूखे आंवले गुठली रहित 400 ग्राम, अश्वगंधा 300 ग्राम, सोंठ 100 ग्राम को कूटपीस छानकर चूर्ण बना लें, इसमें पिसी हुई मिश्री या चीनी 400 ग्राम मिला दे, बस दवा तैयार है, मात्रा 3 से 6 चाय के चम्मच। बच्चों को एक से दो चम्मच भर प्रातः शाम दूध या जल से लें, लाभ यह चूर्ण स्नायुशक्ति वर्धक, वीर्यशीधक एवं गाढ़ा करने वाला है, श्वेत प्रदर, प्रमेह, पिंडलियों में दर्द, शारीरिक दुर्बलता, स्फूर्ति का अभाव आदि भी इससे दूर हो जाता है, यह बुद्धिजीवियों और छात्रों के लिए परम आवश्यक है और लाभदायक है। रोगों के बाद आई हुई कमजोरी भी इससे दूर होती है, जो लोग चीनी से परहेज रखते है वे चीनी रहित चूर्ण भी ले सकते हैं, ऐसी स्थिति में मात्रा कुछ कम कर देनी चाहिए।
रोचक गोलियां – ताजे आवले को हल्का उबालकर गुठली निकाल डालें और उन्हें मसल ले, यदि ताजे आंवले ना मिले तो सूखे आंवले की गुठली निकालकर पीस लें, यह पिसे-मसले आंवले 500 ग्राम में सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल 3 - 3 ग्राम, धनिया, सौंफ, सफेद जीरा 6 – 6 ग्राम, सेंधा नमक, काला नमक 12 – 12 ग्राम मिलाकर सिल पर खूब महीन पीस लें। पीसते समय जरूरत भर को पानी मिला लेना चाहिए, फिर मटर से बड़ी-बड़ी गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें । यह अत्यंत स्वादिष्ट होती हैं, इन्हें मुंह में रखकर दिन भर में 10 से 12 गोली चूसे, इनसे मुंह में लार स्राव तथा आमाशय के रसों में वृद्धि होती है, इससे अरुचि, कब्ज, भूख की कमी दूर होती है, गैस बनना भी ठीक होता है ।
हाथ पैरों में पसीना या जलन – आवला चूर्ण तीन तीन चम्मच को शहद से चाटे अथवा जल के साथ सुबह-शाम लेते रहें, साथ ही दिन में तीन चार बार हाथ पैर आंवले के पानी से धोएं, शाम को आवला कुचलकर पानी में भिगो दें, बस यही पानी हाथ पैर धोने के काम में लाये ।
आंवला केश तेल - हरे आंवले का रस एक किलोग्राम, मूंगफली, तिल अथवा नारियल का तेल 1 किलो लोहे की कढ़ाई में डालें, अब एक दूसरी कढ़ाई में बालछड़, नागरमोथा, मजीठ, गुलाब फूल, चंदन का बुरादा, खस, त्रिफला 25-25 ग्राम, कपूर कचरी, छोटी इलायची, कमल फूल, हल्दी 10 - 10 ग्राम को मोटा-मोटा कूटकर 8 गुने पानी में उबालें, चौथाई पानी रहने पर निचोड़ कर छान लें और तेल वाली कढ़ाई में डाल दें, कढ़ाई आधी खाली रहनी चाहिए इतनी बड़ी हो, अब इसको मध्यम आंच पर पकाएं, जब पानी जल जाए और तेल तेल बचा रहे तो उतार लें और छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को पतला करना हो तो आग से उतारते ही उसमें दो चाय के चम्मच भर खाने वाला नमक डालकर आरकेएच दे। जब ठंडा हो जाए तो ऊपर ऊपर का तेल निथार लें, इस तेल में मनचाही सुगंध और थोड़ा सा कपूर भी मिला सकते हैं, यह स्वयं भी सुगंधित बनता है। यहां तेल सिर दर्द, चक्कर, दिमागी थकावट, बालों का झरना, और मस्तिष्क की कमजोरी आदि के लिए लाभदायक है ।
– आंवला
(Amla) को
किसी भी रूप में लिया जा सकता है. इससे आंवला के गुण कम नहीं होते हैं. आप
अपनी इच्छानुसार आंवला जूस, आंवला
पाउडर, आंवला मुरब्बा, आंवला अचार का सेवन
साल भर कर सकते हैं. अगर आंवले का मौसम हो तो ताजे आंवले का जूस और
कच्चे आंवला का सेवन अवश्य करें.
1) नियमित
रूप से आंवला रस (Amla Juice) पीने से शरीर सभी प्रकार के विषैले तत्वों से मुक्त
होता है. आंवला के सेवन से लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood cells) बढती है. आंवला हड्डियों को मजबूत बनाता है और
हड्डी-रोग के खतरे कम करता है.
2) आंवला आँखों के लिए
लाभकारी है. यह नेत्र ज्योति अच्छी करता है. आंवला का सेवन मोतियाबिंद, रतौंधी, नेत्र-दोष में सुधार
लाता है. आवला और
शहद साथ
लेने से आँखों की रौशनी अच्छी होती है और आँखों के संक्रमण के खतरे कम होते हैं.
3) आंवला
कोलेस्ट्रोल के बढे हुए स्तर को कम करता है और रक्तचाप सामान्य रखता है.
आंवला डायबिटीज के रोगी में ब्लड शुगर बैलेंस करने का काम करता है.
आंवला खाने
के फायदे –
4) आंवला के फायदे पेट के लिए –
– आंवला
पेट के लिए अत्यंत गुणकारी
है. पेट
में गैस्ट्रिक एसिड जब ज्यादा Acidic हो जाता है तो एसिडिटी की समस्या होती है और कम Acidic हो जाने पर पाचन
प्रक्रिया धीमी हो जाती है. आंवला पेट के गैस्ट्रिक एसिड का ph लेवल सामान्य स्तर पर
बनाये रखता है.
एक
चम्मच आंवला चूर्ण (Amla
Powder) सोते
समय या सुबह खाली पेट लेने से पाचन प्रक्रिया सही रहती है. यह उपाय पुराने कब्ज को भी दूर
करता है. आंवला पेट के अल्सर, पाचन और गैस्ट्रिक समस्या में काफी हद तक
आराम पहुंचाता है.
5) आंवले
में पाए जाने वाला विटामिन C हमारे भोज्य पदर्थ में पाए जाने वाले लौह तत्व को
हेमोग्लोबिन में मिलाने का कार्य करता है अतः हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के स्तर को सुधारने के
लिए आंवला
का सेवन उपयुक्त है. एनीमिया के रोगी को आंवला का सेवन किसी भी रूप में अवश्य करना चाहिए.
6) आंवला के फायदे स्किन के लिए –
अशुद्ध रक्त
की वजह से स्किन पर दाग-धब्बे, मुहांसे, बेजान त्वचा, थकान, कमजोरी आदि समस्यायें होती है. आंवला खून साफ़ करता है. ताजे आंवला खाने से या आंवला का जूस पीने से रक्त की अशुद्धियाँ दूर होती
हैं और स्किन
समस्या दूर होती है. चेहरे का ग्लो और
कॉमप्लेक्शन निखरता है.
आंवला
एक अच्छा एंटी- आक्सिडेंट है जो फ्री रेडिकल्स (Free radicals) खतम करके बढ़ती उम्र के
लक्षणों को कम करता है. इसलिए जवां स्किन चाहिए तो किसी भी रूप में आंवला
अवश्य खाइए. आंवला हल्दी
का सेवन भी बढ़ती उम्र का प्रभाव कम करता है.
7) आंवला के फायदे बालों के लिए –
सभी
जानते है आंवला
बालो के लिए कितना
लाभदायक है. आंवला पाउडर (Amla powder) को चाहे तो सादा ही या फिर मेहँदी के साथ मिला कर
लगाने से बाल मजबूत, घने
और चमकदार होते है.
आंवला
पेस्ट लगाने से बालो को बढ़ने में मदद मिलती है. इससे आंवला बाल और सर की
त्वचा (scalp) को
नमी देता है. जिससे
डैड्रफ और बाल टूटने की समस्या कम होती है.
नियमित
आंवला खाने से बालों का सफ़ेद होना, झड़ना रुकता है. सफेद बालों को रंगने के
लिए आंवला, मेहेंदी, कॉफ़ी पाउडर का पेस्ट लगाना
सुरक्षित है. इससे बालों पर कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होता और बाल स्वस्थ
रहते हैं.
8) कफ
और गले की खराश ठीक करने के लिए अदरक रस और आंवला रस मिलाकर लें, एकदम आराम मिलेगा.
जाड़ों में च्यवनप्राश का नियमित सेवन बदलते मौसम की समस्याओं, सर्दी-जुकाम से बचाव होता
है.
9) आंवला जूस पीने से सर्दी की बीमारी में आराम मिलता है.
डॉक्टर की बताई दवाइयों के साथ आंवला जूस का सेवन भी करें. आंवला मेटाबोलिज्म तेज करके मोटापा कम
करने में भी कारगर माना गया है.
आयुर्वेद
की खासियत है न सिर्फ बीमारी के लक्षणों को ख़त्म करना बल्कि बीमारी को भी
जड़ से ख़त्म करना. पूरे विश्व में भारतीय Ayurvedic Brands की आंवला से बनी दवाइयां बिकती है और
करोडो लोग इसका
फायदा उठा रहे है.
आंवला के
उपयोग में सावधानी : आंवला के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, दस्त की समस्या हो सकती है, इसलिए संतुलित मात्रा में ही प्रयोग करें. आंवले का सेवन कर रहे हों तो पानी भरपूर
पियें
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