सौंफ के फायदे, उपयोग और नुकसान – Fennel Seeds (Saunf) Benefits, Uses and Side Effects






सौंफ बहुप्रसिध्द औषधीय तथा घरेलू प्रयोग की चीज है । इसकी खेती की जाती है । यह उत्तर प्रदेश, उडीसा, पंजाब, अन्य पश्चिमोत्तर क्षेत्रों आदि में बहुतायत से उत्पन्न होती है । आमतौर पर सौंफ का उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, भारतीय रसोई में सौंफ का उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है। सौंफ' छोटी-वडी कई तरह की होती है । छोटी सौंफ लखनऊ सौंफ के नाम सै बहुत प्रसिद्ध है । यहां लोग आमतौर से भोजन के वाद सौंफ खाते हैं, होटलों में ग्राहकों के खाने के लिए यह रखी जाती है, पान में डाल कर भी इसका प्रयोग किया जाता है । मुख शोधन के लिए लोग इसे प्राय: अपने पारखते हें । इतनी लोकप्रियता इसके व्यापक गुणों की परिचायक है ।



सौंफ का पौधा


सौंफ कां पौधा सुगन्धित 2-3 फुट तक ऊंचा छत्रमय, खडी शाखाओं और चिकने तने वाला होता है । पत्ते 1/2 से 1 ½ इंच तक लम्बे रेशाकार बाल जैसे कई विभागों सै युक्त होते हें । फूल में 5 पंखुडियां होती हैं तथा वे पीले होते है । सौंफ इन्हीं फूलों का बीज होता डै । सौंफ हरिताभ पिलाई लिए हुए रहती है और इस पर 5 सूक्ष्म उभरी रेखाएं-सी होती हैं । सौंफ की जड़ का रंग पीलापन लिए हुए सफेद होता हे ।




विविध नाम – संस्कृत - मधुरिका, शतपुष्पा,  हिन्दी – सौंफ, बरियारी, लेटिन - फिनीक्यूलम कैपिलिकम आदि ।




उपयोगी अंग
बीज (सौंफ), बीजों का तेल (आयल एनीसी) तथा जड़ ।



सामान्य मात्र - सौंफ का चूर्ण 3 सै 8 ग्राम, जड 5 से 10 ग्राम, तेल 5 से 10 बूंद, अर्क 20 मै 50 ग्राम ।




संग्रह और संरक्षण - फूलों के शुष्क होने पसौंफ झड़ा ली जाती है । बीज  सूख जाने पर ढक्कनदार पात्रों मे ऐसी जगह रखें जहां नमी न हो । ढंग से रखी हुई सौंफ 6 माह सें लेकर 1 वर्ष तक ठीक रहती है ।




गुण-धर्म सौंफ लघु, ह्रदय को हितकारी, कटु, तिक्त, स्तिग्ध, तीक्ष्, कुछ उष्णबीर्य, मधुर विपाकी, रोचक, सारक, दीपन,पाचन,शक्तिवर्धक,मूत्र वर्धक,वैट, कफ विकार एवं आमनाशक है यह आव, पेचीस, अतिसार,  दाह, अर्श, नेत्र रोग, प्यास, खुश्की, विभिन्न उदर विकार एवं ज्वर मे उपयोगी पाई गई है । इसमें स्मरणशक्ति वर्धक गुण भी है तथा यह आंतों की कार्यक्षमता की सक्रिय करती एवं खुसकी दूर करके कब्ज को भी ठीक करती है । इसका प्रयोग वमन, मिली, अजीर्ण व उदर शूल की विभिन्न स्थितियों में भी सफलतापूर्वक होता है । सौंफ के अर्क में यह भी गुण विद्यमान रहते हैं ।

सौंफ में हल्के-पीले रंग का एक प्रकार का उड़नशील सुगन्धित तेल हना है ।  इसके अतिरिक्त इसमें मुख्यत: दो प्रकार के परम उपयोगी अन्य तत्त्व हें-एनीथोल तथा फेनंकोन ।




शास्त्रीय योग - पंचसकार चूर्ण, स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण आदि अनेक चूर्ण । 





विविध प्रयोग तथा उपयोग



अर्क-सोंफ - सौंफ 500 ग्राम को 8 लीटर पानी में शाम को भिगो दें । सुबह भभका (नलिका यन्त्र) में भीगी सौंफ सहिपानी को डालकर आग पर चढाएं, इसमें 5 -6 बोतल अर्क निकाल लें । मात्रा - 5 0 सें 100 मिलीलीटर तक सुबह शाम । यह शीतल, दीपन एवं आम दोषों, मूत्रदोषों आदि को बाहर निकालने वाला, पित्त व दाह को शान्त करने वाला होता हे। यह वात विकारों में भी उपयोगी होता है । अर्क सौंफ गैस बनने की स्थिति को भी सुधारता है । 




सौंफ का अवलेह - सौंफ का महीन चूर्ण 1 0 0 ग्राम को गुलाब पुष्पों से बनाए हुए गुलकन्द 2 5 0 ग्राम में अच्छी तरह मिलाकर रखें । मात्रा – बच्चो को 3 से 1 0 ग्राम तक तथा बडों को 30 ने 5 0 ग्राम तक रात में सोते समय गर्म दूध अथवा गर्म जलं से दें । प्रात: सौच साफ आता है, इसमे आमाशय की गर्मी और भारीपन भी मिटता है । यह अति कोमल प्रकृति वालों के लिए भी अनुकू विरेचन है । 




अतिसार (दस्त) - 1 0 ग्राम सौंफ को वे पडालकर हल्का सा भून ले । अब इसी में 10 ग्राम बिना भुनी सौंफ मिलाकर कूटें और चूर्ण वनावें था बराबर  पिसी हुई चीनी मिलाकर शीशी में रखें । मात्रा 3 से 5 ग्राम क दिन ये 3 बार थोडे से मटूठे में मिलाकर ले । यह दस्तों में अन्यन्त लाभकारी है । 




सौंफ चूर्ण – सौंफ 100 ग्राम, सोंठ 35 ग्राम को चूर्ण बनाए तथा इसमे 125 ग्राम बरुक पीसी चीनी मिलाकर रख ले। मात्रा – 10 ग्राम से 15 ग्राम तक सुबह-शाम गर्म जल से । यह चूर्ण अजीर्ण, उदरवात, अग्निमांद्य, पेट का भारीपन, दुर्गन्धित वायु निकलना आदि में अच्छा लाभकारी है । 




उदरामृत चूर्ण - सौंफ, सोंठ, छोटी हरड़ 25-25 ग्राम ले । जरा-जरा सा देशी घी डालकर सोंठ हरड़ को अलग-अलग भूनें । सौंफ को हल्का भून लें । भूनने से  हरड़े फूल जाती है । अब तीनों को कूट कर चूर्ण करें । इनमें सोडा बाई कार्5 ग्राम मिश्री चूर्ण 75 ग्राम मिलाकर रखें । ममता-1 - 3 चम्मच तक दिन में 3 बार जल के साथ । अनुकूल मात्रा 2-3 दिन इसै सेवन करने के बाद स्वयं निश्चित कर लेना चाहिए । जिससे सौच साफ हो जाये परन्तु दस्त न आवें वही अनुकूल मात्रा है । यह चूर्ण पुरानी पेचिश, थोड़ा थोड़ा आंव आते रहना, नई आँकी पेचिश, गैस बनना, क्षुधामांद्य, पेट व आमाशय का भारी रहना, सामान्य कब्ज आदि में परम उपयोगी है ।





स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण - सौंफ का चूर्ण 50 ग्राम, मुलहठी का चूर्ण 50 ग्राम, शुद्ध आमलासार गंधक 50 ग्राम, नाय का चूर्ण 150 ग्राम, और मिश्री 200  ग्राम लेकर अच्छी तरह मिला कर रख ले । यह चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में रात्रि में सोते मय गुनगुने पानी सें सेवन करना चाहिए । यह चूर्ण सुबह एक या दो दस्त साफ लाता है । आंतों में जलन नहीं डालता । कब्ज, आम वृद्धि, सिर दर्द, अर्श, रक्त विकार आदि रोगों में उदर शुद्धि के लिए इसका सेवन कराया जाता है । यह अत्यन्त उपयोगी सर्वथा हानि रहित मृदु विरेचक है ।





मुख शोधन - सौंफ को तवे पर हल्का सा भून कर रखें । भोजनोपरान्त 3-4 ग्राम सौंफ मुंह में डाल कर धीरे-धीरे चबा लिया करें । इमसें पाचन सुधरता है, तथा भूख खुलकर लगती रहती है जिन लोगों के दांत और मसूढे खराब हैं उन्हें मुंह में सौंफ लिए रहने सै मुंह सै बदबू का आभास नहीं होगा । बल्कि यह इसके लिए लाभकारी भी है ।




मूत्रावरोध - सौंफ 10 ग्राम थोडी देर भिगोकर ठंडाई की तरह पीसकर एक गिलास पानी व इच्छानुसार चीनी मिला ले, अब यवछार अथवा कलमिशोरा 1 ग्राम फांक कर ऊपर से यह ठंडाई पिये । इससे मूत्र अवरोध ठीक होकर पेशाब साफ आने लगता है ।  




सौंफ का उपयोग –

आइए जानते हैं कि सेहत के लिए सौंफ का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

·         सौंफ का उपयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है। सौंफ की चाय पीने से मोटापे को कम किया जा सकता है।

·         आप खाने के बाद भी सौंफ का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। सिर्फ पाचन ही नहीं, बल्कि इससे खून भी साफ हो सकता है।

·         माउथ फ्रेशनर के रूप में भी आप सौंफ का उपयोग कर सकते हैं। यह सांसों की दुर्गंध से छुटकारा दिला सकती है।

·         अगर भूनी हुई सौंफ को मिश्री के साथ खाया जाए, तो खांसी से राहत और आवाज की मधुरता बढ़ाई जा सकती है। साथ ही याददाश्त भी तेज होती है।



सौंफ के नुकसान – 

स्वास्थ्य के लिए सौंफ के फायदे तो हैं ही, इसके अतिरिक्त सौंफ के नुकसान भी हैं, जिनके बारे में जानना सभी के लिए आवश्यक है। नीचे हम सौंफ के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।

·         स्तनपान करा रही महिलाओं को सौंफ का अत्यधिक उपयोग करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे शिशु की सेहत पर असर पड़ सकता है।

·         अत्यधिक सौंफ खाने से स्किन की संवेदनशीलता बढ़ सकती है और धूप में निकलना काफी मुश्किल हो सकता है।

·         अगर आप किसी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते हैं, तो आपको सौंफ का अधिक सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

·         सौंफ का अधिक सेवन एलर्जी का कारण बन सकता है।


Post a Comment

أحدث أقدم