लहसुन के फायदे और नुकसान – Garlic (Lahsun) Benefits and Side Effects







लहसुन सुप्रसिद्ध वनस्पति है, जिनका प्रयोग न जाने कितनी शताब्दियों से मसाले और ओषधीय रूप में किया जा रहा है । इसकी हरी पत्तियों की शाकभाजी बनाई जाती है । इसके गुणों का वर्णन आयुर्वेद ग्रंथों में भरा पड़ा है । इसकी उत्पत्ति के बारे में रोचक किंवदन्तियां प्रचलित हैं । एक कथा इस प्रकार है । प्राचीन काल में भगवान विष्णु के प्रिय वाहन गरुड ने इन्द्र के पास से अमृत के कलश का हरण कर लिया । वे कलश ले जा रहे थे कि किसी प्रकार अमृत की एक बूंद  पृथ्वी पर गिर गई । बस उसी से लहसुन की उत्पत्ति हुई । इस जनश्रुति का आधार भले ही कुछ रहा हो, पर लहसुन में अमृतवत गुण अवश्य है । आयुर्वेद में छ: रसो की महता है । लहसुन में सिर्फ एक रस (अम्ल) को छोड सभी पांच रस विद्यमान होते हैं । इसी से इसको संस्कृत में रसोन (रस+ऊन ) कहा जाता है ।



लहसुन की खेती की जाती है और यह प्राय: समस्त भारत में पैदा होता है । यह सर्दियों मे बोया जाता है और गर्मियों के आरम्भ में पत्ते पकने पर इसके कन्द जमीन से खोद लिए जाते हैं । इनके 1 से 2 फूटी पत्ते वाले पौधे होते हैं । पत्तियां हरी, ली, चपटी और लम्बी होती हैं । यह मसलने पर किंचित लिसलिसी और उग्रगंधी होती है । पत्तियों के बीच से पुष्पदण्ड निकलता है । इसमें फूल निकलते हैं वो गुच्छेदार  सफेद होते हैं ।




लहसुन की गांठ फैद व गुलाबी होती है, जिमें प्राय: 6 से 1 2 तक दाने (कलियां) पाए जाते है । इनमें तीव्र गंध आती है । एक दूरे प्रकाका लहसुन होता है, जिको एकपोथिया लहसुन (एलियम एसकालोनिकम) कहते है । इसके कन्द में सिर्फ एक ही कली होती है। यह भी तीक्ष्य गन्धमय होती है ।



विविध नाम :- संस्कृत – रसोन, हिन्दी – लहसुन, सुन आदि । अंग्रेजी – गार्लिक । लेटिन – एलियम साटिवुम




उपयोगी अंग - कन्द एवं पत्तियां ।



सामान्य मात्रा – दाने – 1 से 10-12 दाने तक उम्र के अनुसार, टिक्चर- 5 से 25 बूंद तक, स्वर3 से 20 बूंद तक  उम्र के अनुसार ।



संग्रह एवं संरक्षण- लहसुन के पत्ते पीले और मुरझीले हो जाएं तो नीचे की गांठे खोदकर निकालें । यह जल्दी खराब नहीं होगा । लहसुन खोदकर सूखे स्थान में रखना चाहिए जहां हवा का प्रवेश होता रहे । यह 6 मास तक खराब नहीं होगा । इसके बाद इसमें जमाव शुरू हो जाता है और दाने बिगड़ने लगते हैं ।



शास्त्रीय योग – रसोन पिण्ड, सोन बटी, लशुनादि घृत, रसोनाष्टक आदि । आयुर्वेद में लहसुन कल्प कराने का भी विधान है ।



गुण-धर्म - लहसुन उष्णवोर्य, स्निग्ध, तीक्ष्य तथा मधुर, लवण, कटु, तिक्त व कषाय र युक्त होता है । यह दीपन-पाचन, वायु कफ नाशक, अनुलोमक, शूलशामक, कामोत्तेजक, मस्तिष्क शक्तिवर्धक, कृमिनाशक, यकृत क्रिया वर्धक, स्नायु मंडल व पेशी-पोषक, कफ दुर्गन्धिनाशक, कफ निस्सास्क, शुक्रवर्धक, मूत्रल तथा ह्रदय के लिए हितकारी और रक्तवर्धक है । उदरवात, संधिवात, आमवात पक्षवाट तथा कंठदोष निवारक है । इसका प्रयोग अस्थिभंग में भी किया जाता है । क्षय तथा अन्य कृमिजन्य रोगों में भी यह उपयोगी पाया गया है । यह रोगावरोधक शक्ति बढाने वाला भी है। आजकल विभिन्न फार्मेसिया इसके कैपसूल, पर्ल्स आदि बनाने लगी हें जो  अत्यन्त लोकप्रिय हो रहे हैं।






विविध प्रयोग तथा उपयोग



टिंक्चर रसौन - लहसुन के छिले हुए दाने 50 ग्राम को कुचल लें । अब इन्हें रेटीफाइड स्पिरिट 50 मिलीलीटर में डालकर डाट बन्द करके रख दें । एक सप्ताह बाद इसको छानकर  ख लें । मा-त्रा – बच्चों को 1 से 5 बूंद आयु के अनुसार । बडों को 5 से 25 बूंद तक सुबह-शाम दूध या मधु अथवा शर्बत आदि में मिलाकर  दिन में 2-3 बार या आवश्यकतानुसार । इसके प्रयोग से उदरकृमि, अफारा, वायुविकार, दंतशूल, बिच्छू का डंक मारना, उदरणूल आदि में लाभ होता है । दूषित आहार जन्य उदरशूल, कै-दस्त में भी उत्तम है ।



विशेष – रेटीफाइड स्पिरिट के अभाव में इसे अच्छी देशी शराब में मिलाकर लगभग 2 सप्ताह रखें और फिर छानकर प्रयोग करें ।



रसोन क्षीर - 10 ग्राम लहसुन की छिली हुई कलियां (दाने) लेकर उन्हे सिल पर अच्छी तरह पीस ले  फिर इसको 250 ग्राम दूध में डालकर हल्की आं से पकाएं । दूध में दो उबाल आने पर उतार लें और इच्छित मात्रा में मिश्री चूर्ण या चीनी  मिलाकर इसे खायें । इसी तरह प्रात: -शाम खीर को बनाकर खाना चाहिए । यह साइटिका, संधिवात, थकान, दुर्बलता, पक्षाघात जनित सामान्य विकृतियाँ, उदरवात आदि मे अत्यन्त लाभकारी है। क्षय रोग में इसे सहयोगी औषधि के रुप में प्रयोग किया जाना चाहिए । इमसें लाशीघ्र होता है।



टांसिल बढना - लहसुन की दो-तीन कलियां (दाने) छीलकर  उन्हें महीन पीस लें। फिर इसमें 3 ग्राम शहद अथवा कोई शर्बत से ही या देशी घी गर्म करके मिलाएं और फिर साफ उंगली अथवा फुरेरी सै गले में थोड़ा-थोड़ा करके लगाएं । इसको थूकना नहीं चाहिए बठिक कुछ रोकने के बाद निगल लिया करें । इतरह प्रात:-सायं करते रहने से स्थायी रूप से  टासिल ठीक हो जाते है । ठीक हो जाने पर भी कुछ महीनों तक कम-से-कम दिन में एक वार इसे बराबर जारी रखें ।




कुकुर खांसी (हूपिंप कफ) -कुंकुर खांसी छोटे बच्चो का अत्यन्त दुखदायी रोग है । बच्चे खांसते-खांसते बेदम हो जाते हैं । चेहरा लाल और उल्टी तक हो जाती है । यह लम्बी अवधि तक चलती है और बच्चा बेहद कमजोर हो जाता है । शिशुओं के लिए 1 कली छिली हुई तथा कुछ बड़े बच्चो को 2 या 3 कली तक लेकर खरल में अत्यन्त महीन पीस ले । फिर इसे शहद शर्बत अथवा थोडी-सी मिश्री या चीनी मिलाकर दिन मे 3 बार चटावें । ऊपर लिखा टिचर रसोन भी कुकुर खासी में उपयोगी है । इसमे पहले-दूसरे दिन ही आशातीत लाभ नज़र आता है । थोड़े ही समय में कुकुर खांसी की सारी तकलीफें मिट जाटी हैं ।



कुकुरकास बच्चो का संक्रामक रोग हैं । यदि रोग फैलने की आशंका हो तो स्वस्थ बच्चो को भी प्रात: -सायं इस दवा को देते रहे तो उन्हे रोग नही लगेगा। यदि रोग लगा भी हो तो रोग सामान्य होगा ।





लहसुन की चटनी - धीमी आँच में भुने अथवा कच्चे लहसून के 10-15 दाने, अदरख 3 ग्राम या सोंठ चूर्ण 2 ग्राम, काली मिर्च 7-8 नमक इच्छानुसार पीस लें । इसमें जरा-सा नीबू निचोड़ दे अथवा 1 / 3 से 1 चम्मच तक सिरका मिला दें । जायकेदार चटनी तैयार है । यदि मिल जाए तो इसी में पुदीना, हरा धनिया भी मिला सकते है अन्यथा कोई आवश्यकता नहीं । प्रतिदिन भोजन के समय, रोटी और घी के साथ अथवा जैसे भी मन हो इसका प्रयोग करें ।



यह क्षुधार्ध, गैस हर, बड़े रक्त दबाव को ठीक करने वाली, पाचक, कब्ज नाशक और हर तरह के बात विकारों में उपयोगी और वात-कफ विकारों में ओषधि की सहयोगी है ।



बहू-उपयोगी लहसुन का ते- लहसुन को पीस कर स्वरस 10 ग्राम ले । इसको 200 ग्राम सरसों के तेल में डालकर तेल को पकाएं । जब लहसुन का सावरस जल जाए और केवल तेल रह जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें । इस तेल को खुजली वाले स्थान अथवा पूरे शरीर पर धीरे-धीरे मालिश करें । यदि शीतऋतु हो तो तेल लगाकर कुछ देर धूप में बैठे रहे । फिर गर्म जल से स्नान करें और कपडे बदल कर पहनें । पिछले पहने हुए कपडे उबाल कर साफ कर डालें । इस प्रकार 2-4 दिन करने से खुजली के कीटाणु मर जाते हैं और रोग अच्छा हो जाता है । इस तेल को बिगडे हुए घावों पर लगाने से तथा उन्हे नीम के पानी से धोने से वे शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं । कान के दर्द में तेल को गुनगुना करके डालने से लाभ होता है ।



स्वादिष्ट लहसुन बटी - भुना जीरा, भुनी सोंठ दोनों 150-150 ग्राम, काली मिर्च 100 ग्राम, पीपल 50 ग्राम, काला नमक 125 ग्राम, सांभर नमक 120 ग्राम, भुनी हुई हींग 100 ग्राम और साफ किया हुआ एक कली वाला लहसुन 400 ग्राम लेवें ।



लहसुन को चटनी की तरह सील बट्टे पर बारीक पीस लें । शैष औषधियों को कूट छान कर लहसुन की चटनी में मिलाकर एक-एक रती की गोलिया बना ले



इसकी मात्रा 2 से 4 गोली दिन में 3 या 4 वार जल के साथ है । यह गोली पाचन शक्ति बढाती है, दहज्मी को नष्ट करती है । शादी में प्राय: लोग अधिक भोजन कर लेते हैं जिससे पेट में भारीपन आ जाता है । ऐसी अवस्था ये 2-2 गोली एक-एक घण्टे बाद 3-4 बार ले लेने पर पेट का भारीपन दूर हो जाता है फिर अपचन नहीं होता । यह गोली कब्ज के पुराने रोगियों के लिए भी बहुत अच्छी है ।





लहसुन सेवन की सरल-उपयोगी विधि –

(1) प्रतिदिन प्रात: काल नीहार मुंह एक छोटा सा एकपोतिया लहसुन कुचल कर पानी से निगल लिया करें । यह गृघ्रसी, घुटनों का दर्द, कमर दर्द, गैस बनना आदि वात रोगों में उपयोगी हैं ।



(2) दो-तीन चम्मच धी अथवा तेल में 2-3 कलियां लहसुन की पकाकर भोजन के साथ जली कलियों सहित पका हुआ धी/तेल सेवन करें । उदर वात रोगों में लाभदायक है ।

(3) लहसुन की कलियां 250 ग्राम लेकर 500 ग्राम नींबू के रस में भिगो दें इसी में 25 ग्राम नमक डाल दें । 1 5 दिन बाद 4-6 कलियां दोनों समय भोजन के साथ सेवन करें । यह लहसुन अपने पूरे गुण प्रदान करता है ।



पक्षघात में लहसुन प्रयोग - एक संन्यासी का बताया हुआ यह प्रयोग पक्षाघात एकांग, अर्धाग बात आदि में अति उपयोगी है । रोगी को प्रथम दिन एक कली लहसुन की खिलाएं, दूसरे दिन दो, तीसरे दिन तीन । फिर इसी प्रकार क्रम से बढाते हुए उसे चालीस कलियों तक ले जाएं । फिर इसी क्रम से प्रतिदिन एक कली घटाते हुए केवल एक कली पर लाएं । इस प्रयोग पर परीक्षण किया जा रहा है । तथापि यह अत्यंत उपयोगी है ।




लहसुन प्रयोग में सावधानी – लहसुन मात्रा में अधिक सेवन करने तथा अति कर देने से गर्मी करता है । बच्चों को अल्प  मात्रा में ही इसका प्रयोग कराएं तथापि कोई घातक प्रभाव नहीं होगा । अधिक मात्रा होने पर गर्मी, वमन, मिचली  आदि होती है । यदि ऐसा कुछ लगे तो इसे कुछ दिन बंद करके कम मात्रा में सेवन कराना चाहिए ।

गर्म मिजाज -पित्त प्रकृति के व्यक्तियों को - यह अनुकूल 1 नहीं पडता है । जो लोग इसकी तीक्ष्य गंध के कारण इसका सेवन नहीं करते उन्हें चाहिए कि खाली जिलेटिन कैपसूल में इसके टुकडे भरकर निगल लिया करें ।

नोट-स्मरण रखना चाहिए कि औषधि रूप में केवल कच्चा लहसुन सेवन करना ही फलदायक होता है । परन्तु इसका सेवन करने वालों के शरीर तथा स्वास से बड़ी अप्रिय गंध आने लगती है ।





इसके अलावा अन्य फायदे -



सेक्‍स हार्मोन बनाता है 
लहसुन में ऐलीसिन नाम का पदार्थ होता है जो पुरुषों के मेल हार्मोन यानी सेक्‍स हार्मोन के स्‍तर को ठीक रखता है। इससे पुरुषों में इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन दूर होता है। वहीं लहसुन में सेलेनियम और भारी मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं जिससे स्‍पर्म क्‍वालिटी बढ़ती है।



 हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है लहसुन –

इन दिनों लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर में घरेलू उपाय के तौर पर लहसुन का सेवन काफी उपयोगी साबित हुआ है। दरअसल, लहसुन में बायोएक्टिव सल्फर यौगिक, एस-एललिस्सीस्टीन मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को 10 mmhg (सिस्टोलिक प्रेशर) और 8 mmhg (डायलोस्टिक प्रेशर) तक कम करता है। चूंकि, सल्फर की कमी से भी हाई ब्ल्ड प्रेशर की समस्या होती हैइसलिए शरीर को ऑर्गनोसल्फर यौगिकों वाला पूरक आहार देने से ब्लड प्रेशर को स्थिर करने में मदद मिल सकती है



डायबिटीज से लड़ने में मदद करता है लहसुन-

हर रोज बदलती और असंतुलित जीवनशैली की वजह से कई लोग डायबिटीज यानी मधुमेह की बीमारी का शिकार हो रहे हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि लहसुन का सेवन करने से डायबिटीज पर लगाम लगाई जा सकती है। आईआईसीटी (भारत) के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों को लहसुन खिलाया।  इसके बाद चूहों के खून में ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी पाई गई। इसके अलावा, चूहों के शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता में भी वृद्धि देखने को मिली इसलिए, अगर आपको डायबिटी का संदेह है या डायबिटी है, तो आप लहसुन का सेवन करें। यह शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है।

सर्दी-ज़ुकाम से बचाता है लहसुन

मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी-ज़ुकाम होना बहुत ही आम बात है, लेकिन जरूरी नहीं कि इन बीमारियों के उपचार के लिए हर बार अंग्रेजी दवाओं का ही सेवन किया जाए। दरअसल, लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों की भरमार होती है। इसमें एलियानेस (या एलियान) नामक एंजाइम मौजूद होता है, जो एलिसिन नामक सल्फर युक्त यौगिक में परिवर्तित होता है। यह यौगिक सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है, जो सर्दी-जुकाम के वायरस से लड़ने में मदद करता है




कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में मददगार है लहसुन –

ज्यादा तेल-घी वाले खान-पान की वजह से लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक जांच में पाया है कि पुराने लहसुन के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी तक लहसुन के इस गुण को लेकर वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है।



दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने में मददगार है लहसुन –

जैसा कि हम जानते हैं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का ह्रदय संबंधी रोगों से सीधा रिश्ता होता है। ऐसे में लहसुन का सेवन ह्रदय संबंधी रोगों की रोकथाम में असरदार साबित हो सकता है।



लहसुन का कैसे करें सेवन

  • आप अपने भोजन में सीमित मात्रा में लहसुन को शामिल कर सकते हैं, लेकिन एक बार इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
  • आप हर रोज खाली पेट कच्चे या सूखे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन कर सकते हैं। उसके कुछ देर बाद आप गुनगुने पानी में नींबू का शरबत बनाकर भी पी सकते हैं।
  • आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियों को बारीक काटकर पालक की स्मूदी में मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
  • अगर आपको साबूत लहसुन खाना पसंद नहीं, तो आधा चम्मच से भी कम लहसुन का पेस्ट या एक लहसुन की कली को बारीक काटकर खाने में उपयोग करें।
  • आप लहसुन को रोज सब्जी या सूप में डालकर भी खा सकते हैं।
  • आप लहसुन की चाय भी पी सकते हैं।
  • लहसुन की कुछ कलियों को आप घी में भूनकर भी खा सकते हैं।
  • दो से तीन लहसुन की कलियों को हरे प्याज, ब्रोकली और चुकंदर के रस के साथ मिलाकर उसका सेवन करें। अगर आपको इनमें से किसी भी चीज से एलर्जी है, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • ध्यान दें कि अगर आपको कोई एलर्जी है, तो अपने आहार में लहसुन को शामिल करने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
  • अगर आप कच्चे लहसुन को नहीं खा सकते और उसकी गंध आपको पसंद नहीं आती है, तो बाजार में लहसुन के कैप्सूल मिलते हैं। आप लहसुन के अर्क से बने इस कैप्सूल का सेवन रोज कर सकते हैं।




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