गुर्दों को स्वस्थ कैसे रखें - How to keep kidney healthy.

हमारे शरीर का रक्त तीन प्रकार से शुद्ध होता है । पहला फेफड़ों से ऑक्सीजन द्वारा, दूसरा त्वचा से पसीने द्वारा, तीसरा गुर्दों से मूत्र द्वारा हमारे गुर्दे छलनी का काम करते हैं । यह रक्त में से यूरिया, अम्ल  अन्य हानिकारक लवण निकालकर रक्त को शुद्ध करते हैं । हमारे शरीर में दो गुर्दे होते हैं । इनका आकार सफेद काजू के दाने जैसा होता है, इनका रंग बैंगनी होता है ।



गुर्दे के कार्य -
मूत्र - स्वस्थ मनुष्य 24 घंटे में 1 लीटर के लगभग मूत्र त्याग करता हैगर्मियों में पसीने के कारण इसकी मात्रा कम हो जाती है, मूत्र का रंग हल्का गेहूंहोता है, रोगों में इसका रंग बदल जाता है, ज्वर में इसका रंग गहरा पीला या लाली लिए होता है, स्वस्थ अवस्था में मूत्र में  प्रोटीन होती है और  शक्कर ।  मधुमेह रोग में मूत्र में शक्कर आने लगती है उसका गुरुत्व अधिक हो जाता है, यूरिया का मूत्र में कम या अधिक होना भोजन पर भी निर्भर करता है । जो लोग अधिक मास खाते हैं, दाल चावल रोटी अधिक खाते हैं उनके मूत्र में यूरिया अधिक होता है । जो फल सब्जियां सलाद आदि खाते हैं, चपाती चावल कम खाते हैं उनको यूरिया कम बनता है । यूरिया और लवणो के कम होने से उसका गुरुत्व कम होता है और मात्रा भी कम होती है । प्रोटीन का एल्ब्यूमिन मूत्र में निकलना व्रक्क प्रदाह  या अन्य किसी रोक को जन्म दे सकता है ।


मूत्र की परीक्षा में यह निम्न बाते देखी जाती है - 
(1) रंग, (2) गंध,  (3) गाड़ा है या पतला उसमें कोई तत्व बैठा हुआ है या नहीं, (4) प्रतिक्रिया,  (5) जो लवण उसमें समान्यता घुले रहते हैं उनमें किसी की मात्रा अधिक या न्यून तो नहीं,  
(6) मूत्र में प्रोटीन, शक्कर, रक्तपित्त आदि तो नहीं । (7) उसमें कोई विशेष रसायनिक पदार्थ तो नहीं । 
(8) उसमें कोई रोगाणु या किट तो नहीं ।



वृक्क के खराब होने के कारण -

प्रोटीन युक्त भोजन जैसे मास, मछली, चावल, बिना छिलके की डालें, अधिक गरिष्ठ भोजन करने से रक्त में यूरिया अधिक हो जाता है जिससे गुर्दों को अधिक श्रम करना पड़ता है ।


रक्त को शुद्ध करने के अन्य दो साधनों फेफड़े और त्वचा को सक्रिय रखने से गुर्दों पर अधिक भार पड़ने से गुर्दे खराब हो जाते हैं । ऑक्सीजन का कम होना, व्यायाम  करना, वातानुकूलित कमरों में रहने से पसीने का ना आना, जिससे शुद्ध रक्त शुद्धि नहीं होती है ।


शराब आदि का अधिक सेवन करना ।

चाय अधिक पीना, पानी कम पीना, चाय अधिक पीने से व्यक्ति को प्यास कम लगती है, जिससे पानी कम किया जाता है, मूत्र  कम आता है ।

रक्त में प्रोटीन और यूरिया के अधिक होने से गुर्दे में पथरी बनने लगती है जिससे भी गुर्दे खराब होने लगते हैं ।

गुर्दे खराब होने पर निम्नांकित लक्षण दिखाई देते हैं-
आधुनिक विज्ञान के अनुसारः
आँख के नीचे की पलकें फूली हुई, पानी से भरी एवं भारी दिखती हैं। जीवन में चेतनता, स्फूर्ति तथा उत्साह कम हो जाता है। सुबह बिस्तर से उठते वक्त स्फूर्ति के बदले उबान,आलस्य एवं बेचैनी रहती है। थोड़े श्रम से ही थकान लगने लगती है। श्वास लेने में कभी-कभी तकलीफ होने लगती है। कमजोरी महसूस होती है। भूख कम होती जाती है। सिर दुखने लगता है अथवा चक्कर आने लगते हैं। कइयों का वजन घट जाता है। कइयों को पैरों अथवा शरीर के दूसरे भागों पर सूजन आ जाती है, कभी जलोदर हो जाता है तो कभी उलटी-उबकाई जैसा लगता है। रक्तचाप उच्च हो जाता है। पेशाब में एल्ब्यमिन पाया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसारः
सामान्य रूप से शरीर के किसी अंग में अचानक सूजन होना, सर्वांग वेदना, बुखार, सिरदर्द, वमन, रक्ताल्पता,पाण्डुता, मंदाग्नि, पसीने का अभाव, त्वचा का रूखापन, नाड़ी का तीव्र गति से चलना, रक्त का उच्च दबाव, पेट में किडनी के स्थान का दबाने पर पीड़ा होना, प्रायः बूँद-बूँद करके अल्प मात्रा में जलन व पीड़ा के साथ गर्म पेशाब आना, हाथ पैर ठंडे रहना, अनिद्रा, यकृत-प्लीहा के दर्द, कर्णनाद, आँखों में विकृति आना, कभी मूर्च्छा और कभी उलटी होना, अम्लपित्त, ध्वजभंग (नपुंसकता), सिर तथा गर्दन में पीड़ा, भूख नष्ट होना,खूब प्यास लगना, कब्जियत होना जैसे लक्षण होते हैं। ये सभी लक्षण सभी मरीजों में विद्यमान हों यह जरूरी नहीं .



गुर्दों को स्वस्थ कैसे रखें -

दिन में कम से कम दो से ढाई लीटर पानी का प्रयोग करें, अच्छा हो दिन में एक दो बार नींबू डालकर पानी पिए, निंबू युक्त पानी पीने से गुर्दे साफ हो जाते हैं और उनमे विकार जमा नहीं होता ।

सी व्यवस्था खे कि पसीना आता रहे, तो त्वचा अधिक से आधिक से अधिक स्क्रीय रहे, इससे आपको वृक्को को कम काम करना पड़ेगा ।

अम्ल भोजन को अपनी खुराक में कम कर क्षार भोजन को अधिक स्थान दें, कच्ची सब्जी का सलाद, सब्जी के सूप, उबली सब्जी, फल का रस  फलों को अधिक प्रयोग करें ।


गुर्दे खराब होने पर अधिक से अधिक फल  कच्ची सब्जी का रस लें, मौसम में संतरे अनानास आदि इस जाति के फल  फलों का रस बहुत उपयोगी है, कच्ची सब्जी लौकी, खीरा, सफेद पेठा, गाजर, मूली, आदि का दिन में दो तीन बार रस लेना गुर्दे को स्वस्थ रखने का उपचार है ।


यदि पेशाब खुलकर ना आता हो तो 300 मिली लीटर दूध में 700 मिलीलीटर पानी मिला लें, उसमें 2 ग्राम फिटकरी को मिला दें, इस दूध की कच्ची लस्सी को दिन में दो, तीन 4 बार पीने से पेशाब खुलकर आता है ।

हरे धनिए को घोट पीसकर पीने से भी मूत्र खुलकर आता है ।

सुबह उठते ही तांबे के लोटे में रखा 1 लीटर या इससे अधिक पानी पीने से भी पेशाब खुलकर आता है. जौ का पानी, नारियल का पानी, गन्ने का रस पीने से भी पेशाब खुलकर आता है .

यदि पेशाब बार-बार आता हो तो भुने हुए चने गुड़ के साथ खाने से मूत्र कम हो जाता है. प्रतिदिन मेथी का साग, मेथी बेसन की चपाती खाने से तथा गुड़-तिल के लड्डू खाने से भी अधिक मूत्र आना कम हो जाता है .

शरीर को स्वस्थ रखने की पूरी प्रक्रिया हमारे अंदर शुरू होती है . हमारा थोड़ा सा प्रयास ही उसमें सहायक सिद्ध होता है . अन्यथा कोई भी रोग एक बार लग जाए वह जीवन भर साथ नहीं छोड़ता और व्यक्ति दवाइयां ही खाता रहता है और दुखी हो जाता है

यदि किसी भी कारण से मूत्र ना  रहा हो तब रोगी को आधा कप गर्म पानी में दो या तीन चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर देने से थोड़ी देर में मूत्र ना आने की शिकायत दूर हो जाती है .

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