निम्न रक्तचाप अर्थात लो ब्लड प्रेशर, Low blood pressure.



हमारा हृदय अपने संकुचन और प्रबंधन क्रिया द्वारा रक्त वाहिनियों  द्वारा संपूर्ण शरीर में दौड़ता रहता है, समान्य सिस्टोलिक रक्तचाप 120 मिमी व डायस्टोलिक रक्तचाप 80 मिमी रहता है। यदि सिस्टोलिक रक्तचाप 100 मि॰मी॰ से कम हो जाए तो उसे निम्न रक्तचाप कहते हैं। समान्यतः आराम के समय व्यक्ति का रक्तचाप कुछ कम हो जाता है तथा परिश्रम एवं परेशानी के समय कुछ बढ़ जाता है । रक्तचाप का उपरोक्त अवस्थाओं में थोड़ा घटना बढ़ना सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन अगर स्थाई रूप से किसी व्यक्ति का रक्तचाप औसत से कम रहे तो उसे निम्न रक्तचाप समझना चाहिए । निम्न रक्तचाप में लकवा, मरीज की रक्त नलिकाओं के फटने तथा हृदय गति बंद होने का डर नहीं होता, जैसा कि उच्च रक्तचाप में होता है। बल्कि निम्न रक्तचाप के व्यक्ति लंबी आयु जीते हैं ।



निम्न रक्तचाप के लक्षण :-

सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, आलस्य, थकान, घबराहट, चक्कर आना, थोड़े से परिश्रम से थक जाना, पाचन शक्ति का कम हो जाना, पसीना आना आदि लक्षण नजर आते हैं । निम्न रक्तचाप के रोगी की नाड़ी धीमी एवं छोटी हो जाती है जिसे अंगुलियों से आसानी से दबाया जा सकता है । इस रोग में रक्त परिभ्रमण में कमी आ जाने के कारण शरीर को पूरा रक्त नहीं मिल पाता है। ससे कई बार रोगी चलते चलते चक्कर खाकर गिर जाता है ।



निम्न रक्तचाप के कारण :-

अनुवांशिक:- किसी-किसी मरीज में निम्न रक्तचाप का कारण अनुवांशिकता होता है, यानी पीढ़ी दर पीढ़ी यह रोग चलता रहता है।  हृदय रोग:- इस रोग में रक्त परिभ्रमण में कमी के कारण हृदय पेशी परिसंचरण में पर्याप्त रक्त पहुंचाने में असमर्थ हो जाती है, इस कारण रक्तचाप कम हो जाता है।

अत्यधिक उपवास:- अत्यधिक उपवास के कारण शरीर को भरपूर पोषण नहीं मिल पाता है । सप्ताह में तीन चार बार उपवास करने वालों का रक्तचाप कम हो जाता है।

कुपोषण दुर्बलता:- भोजन में पौष्टिक पदार्थों का अभाव, ताजे फल हरी साग भाजी का अभाव, आदि के कारण शरीर को भरपूर पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे शरीर कमजोर हो जाता है, स्नायुतंत्र शिथिल पड़ जाते हैं।

अन्य कारण:- शोक, हृदय धमनी रोग, मधुमेह, टाइफाइड, टी॰बी॰ आदि अन्य कारण भी रक्तचाप में कमी लाते हैं ।



चिकित्सा:- चना 50 ग्राम, किशमिश 25 ग्राम रात को एक गिलास जल में भिगोकर प्रातः नाश्ते के समय इसे चबाकर खाएं, व बचा हुआ पानी पी लें ।

भोजन में हरे पत्तेदार सब्जी, ताजे फल, सूखे मेवे, दूध, घी का प्रयोग करें।  

ककड़ी व खीरे का रस पिये ।

स्नान के बाद शरीर को पोछने के लिए टावल का उपयोग न करें बल्कि संपूर्ण शरीर को हाथों से मालिश करके सुखा ले,  

छाछ में काला नमक, काली मिर्च पाउडर व दो चुटकी हींग डालकर पिए।  

हरे आंवले का ¼ रस में दो चम्मच शहद डालकर पिए।

जितना संभव हो सके नंगे पैर चले, चप्पल का उपयोग कम करें।

प्रतिदिन पांच पत्ते तुलसी की थोड़ी सी मिश्री खायें।

निम्न रक्तचाप के रोगी को पसीना अधिक आने से लवण की कमी हो जाती है, इस कारण भोजन में नमक की मात्रा ज्यादा रखें।

जब भी जी घबराए एक चम्मच चीनी का सेवन करें, दूध में चीनी मिलाकर पिए।

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