नाभि खिसकने (धरण) के लक्षण कारण नुकसान उपाय और योगासन,
Navel sliding symptoms cause damage measures and yoga.
मानव जीवन में विकास संचालन एवं नियंत्रण में नाभि की महत्वपूर्ण भूमिका है, माता के पेट में गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक नाभि केंद्र सजग सतर्क व सक्रिय रहता है, माता के गर्भ में सबसे पहले नवजात शिशु का नाभि केंद्र ही विकसित होता है, गर्भस्थ शिशु में प्राण ऊर्जा की सारी वितरण व्यवस्था नाभि के माध्यम से होती है, नाभि में हमारे प्राणों का संचार है । यह शरीर की बैटरी है, चाहे कुंडलिनी जागृत कर अन्य चक्रों को सजग करना हो या प्राणायाम की साधना अथवा पतंजलि योग द्वारा यम से समाधि तक की अवस्था को प्राप्त करना । यह सब नाभि की स्वस्थता एवं प्रभाव शील भूमिका पर निर्भर करता है। जिस प्रकार कमल पानी में रहता हुआ भी उस से अपने को अलग रखता है ठीक उसी प्रकार नाभि जीवन की अधिकांश शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक गतिविधियों की संचालक होते हुए भी बाह्य रूप से अपना कोई संबंध नहीं दर्शाती। पौराणिक कथाओं में नाभि को कमल की उपमा दी गई है । मन एवं आत्मा की भांति नाभि भी एक्स-रे अथवा सोनोग्राफी की पकड़ में नहीं आती है । इस कारण एलोपैथी वाले नाभि के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते, नाभि ठीक ना रहे अपने स्थान से हिल जाए तो उसे धरण पड़ गई है कहते हैं । इससे कई रोग होते हैं जैसे यदि नाभि ऊपर की ओर चली गई होगी तो गैस, खट्टी डकार, कब्ज आदि की शिकायत होगी और अगर नीचे खिसक गई हो तो दस्त लग जाना, जी मिचलाना आदि रोग हो सकते हैं । अधिक बोझ उठाने एवं गलत खानपान से भी नाभि अपने आप हिल जाती है ।
नाभि चक्र अपने आप पर है या नहीं यह जानने के लिए निम्नलिखित बातों द्वारा पता लगा सकते हैं :-
1 सुबह खाली पेट जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं व नाभि को अंगूठे से दबाया जाए तो वहां हृदय की धड़कन जैसी धड़कन महसूस हो तो नाभि ठीक है अन्यथा नहीं ।
2 खाली पेट जमीन पर लेटे, हाथ बगल में रखे, व एक सहायक की सहायता से नाभि से छाती की निप्पल तक धागे से नाप करें तथा ऐसा ही नाभि से दूसरी निप्पल तक नाप करें, यदि दोनों एक समान है तो नाभि चक्र ठीक अन्यथा गड़बड़ है ।
3 सीधा लेटे रहे अपनी दोनों टांगे लंबी करें घुटने व पैर आपस में मिले रहे अगर दोनों पैर के अंगूठे की लंबाई समान हो तो नाभि चक्र ठीक अन्यथा गड़बड़ है ।
यदि नाभि चक्र गड़बड़ हो तो उसे ठीक करने के लिए क्या करें -
1 पाँव के नाप में जो अंगूठा छोटा दिखे तो उसे ऊपर की ओर खींचें, 5-6 बार खींचने से अंगूठा ऊपर बराबर आ जाएगा ।
2 सुबह बिना खाए पिए जमीन पर या तख्त पर सीधे बैठ जाएं, टांगे सामने की ओर फैला दें, अब दये पैर को मोड़कर बाई पैर के घुटने के ऊपर रखकर दाएं हाथ से दाएं घुटने को थोड़ा सा दबाव देखकर भूमि या तख्त पर लगाने की कोशिश करें, दबाव उतना ही दे जितना सहन हो सके, अब दूसरा पैर से भी यही क्रिया करें, पांच छह बार क्रिया दोहराये .
3 नाभि में दो-तीन बूंद तेल डालें व नाभि के चारों ओर से लगाकर दाएं से बाएं चक्रकार मालिश तीन बार करें, अब बाएं से दाएं चक्राकार मालिश 3 बार करें .
4 दोनों पैरों के अंगूठे में धागा बांधे, उत्तानपादासन, धनुरासन, नौकासन, भुजंगासन, आश्वासन, चक्रासन कराएं.
सावधानी :-
(१) नाभि चक्र ठीक हो जाने के बाद बाई करवट लेकर धीरे से उठे .
(२) कागासन में बैठकर थोड़ा सा अंकुरित यह हल्का आहार लें .
(३) वजन ना उठाएं, आराम करें .
Navel sliding symptoms cause damage measures and yoga.
मानव जीवन में विकास संचालन एवं नियंत्रण में नाभि की महत्वपूर्ण भूमिका है, माता के पेट में गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक नाभि केंद्र सजग सतर्क व सक्रिय रहता है, माता के गर्भ में सबसे पहले नवजात शिशु का नाभि केंद्र ही विकसित होता है, गर्भस्थ शिशु में प्राण ऊर्जा की सारी वितरण व्यवस्था नाभि के माध्यम से होती है, नाभि में हमारे प्राणों का संचार है । यह शरीर की बैटरी है, चाहे कुंडलिनी जागृत कर अन्य चक्रों को सजग करना हो या प्राणायाम की साधना अथवा पतंजलि योग द्वारा यम से समाधि तक की अवस्था को प्राप्त करना । यह सब नाभि की स्वस्थता एवं प्रभाव शील भूमिका पर निर्भर करता है। जिस प्रकार कमल पानी में रहता हुआ भी उस से अपने को अलग रखता है ठीक उसी प्रकार नाभि जीवन की अधिकांश शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक गतिविधियों की संचालक होते हुए भी बाह्य रूप से अपना कोई संबंध नहीं दर्शाती। पौराणिक कथाओं में नाभि को कमल की उपमा दी गई है । मन एवं आत्मा की भांति नाभि भी एक्स-रे अथवा सोनोग्राफी की पकड़ में नहीं आती है । इस कारण एलोपैथी वाले नाभि के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते, नाभि ठीक ना रहे अपने स्थान से हिल जाए तो उसे धरण पड़ गई है कहते हैं । इससे कई रोग होते हैं जैसे यदि नाभि ऊपर की ओर चली गई होगी तो गैस, खट्टी डकार, कब्ज आदि की शिकायत होगी और अगर नीचे खिसक गई हो तो दस्त लग जाना, जी मिचलाना आदि रोग हो सकते हैं । अधिक बोझ उठाने एवं गलत खानपान से भी नाभि अपने आप हिल जाती है ।
नाभि चक्र अपने आप पर है या नहीं यह जानने के लिए निम्नलिखित बातों द्वारा पता लगा सकते हैं :-
1 सुबह खाली पेट जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं व नाभि को अंगूठे से दबाया जाए तो वहां हृदय की धड़कन जैसी धड़कन महसूस हो तो नाभि ठीक है अन्यथा नहीं ।
2 खाली पेट जमीन पर लेटे, हाथ बगल में रखे, व एक सहायक की सहायता से नाभि से छाती की निप्पल तक धागे से नाप करें तथा ऐसा ही नाभि से दूसरी निप्पल तक नाप करें, यदि दोनों एक समान है तो नाभि चक्र ठीक अन्यथा गड़बड़ है ।
3 सीधा लेटे रहे अपनी दोनों टांगे लंबी करें घुटने व पैर आपस में मिले रहे अगर दोनों पैर के अंगूठे की लंबाई समान हो तो नाभि चक्र ठीक अन्यथा गड़बड़ है ।
यदि नाभि चक्र गड़बड़ हो तो उसे ठीक करने के लिए क्या करें -
1 पाँव के नाप में जो अंगूठा छोटा दिखे तो उसे ऊपर की ओर खींचें, 5-6 बार खींचने से अंगूठा ऊपर बराबर आ जाएगा ।
2 सुबह बिना खाए पिए जमीन पर या तख्त पर सीधे बैठ जाएं, टांगे सामने की ओर फैला दें, अब दये पैर को मोड़कर बाई पैर के घुटने के ऊपर रखकर दाएं हाथ से दाएं घुटने को थोड़ा सा दबाव देखकर भूमि या तख्त पर लगाने की कोशिश करें, दबाव उतना ही दे जितना सहन हो सके, अब दूसरा पैर से भी यही क्रिया करें, पांच छह बार क्रिया दोहराये .
3 नाभि में दो-तीन बूंद तेल डालें व नाभि के चारों ओर से लगाकर दाएं से बाएं चक्रकार मालिश तीन बार करें, अब बाएं से दाएं चक्राकार मालिश 3 बार करें .
4 दोनों पैरों के अंगूठे में धागा बांधे, उत्तानपादासन, धनुरासन, नौकासन, भुजंगासन, आश्वासन, चक्रासन कराएं.
सावधानी :-
(१) नाभि चक्र ठीक हो जाने के बाद बाई करवट लेकर धीरे से उठे .
(२) कागासन में बैठकर थोड़ा सा अंकुरित यह हल्का आहार लें .
(३) वजन ना उठाएं, आराम करें .
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