अजवाइन के फायदे, उपयोग और
नुकसान – Carom Seeds (Ajwain) Benefits, Uses and Side Effects
भारतीय मसालों और औषधियों में अजवाइन का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। अजवाइन औषधीय गुणों का भंडार है तभी तो रसोईघर के साथ ही आयुर्वेद में भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है. अजवाइन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि यह आपको पेट से जुड़ी की बीमारियों को भी दूर रखने में मदद करता है. यह समस्त भारत में होती है यह अक्टूबर से नवंबर तक बोई जाती है तथा फरवरी में काटी जाती है अजवाइन के पौधे एक से 4 फुट तक ऊंचे कुछ-कुछ रोमस होते हैं इसकी डालियों पर छत्ते से आते हैं इन्हीं पर सफेद फूल लगते हैं इसके पत्ते सोया के पत्तों की तरह होते हैं छत्ते पकने पर उनमें अजवाइन निकलती है वस्तुत यह पीलापन लिए हुए भूरे बीज होते हैं जो अजवाइन के कहलाते हैं, यह तीव्र सुगंधित होते हैं।
विभिन्न नाम - संस्कृत - यवानी, यमनिका, हिंदी - अजवाइन, लेटिन – ट्राकी स्परमुमआम्मी।
उपयोगी अंग - अजवाइन के बीज, पत्ते, तेल, अर्क, सत्व आदि उपयोग में आते हैं।
सामान्य मात्रा - अजवाइन चूर्ण 1 से 3 ग्राम, अर्क 20 से 40 ग्राम, सत्व चौथाई से दो रत्ती, तेल 10 से 20 बून्द तक ।
संग्रह एवं संरक्षण - पके हुए बीजों को अच्छी तरह छाया में सुखाकर ढक्कन बंद पात्रों में सूखे स्थान में रखना चाहिए, सत्व अजवाइन शीघ्र उड़नशील होता है। इसे सख्त डॉट लगाकर शीशी में अंधेरे में रखना चाहिए, ठीक प्रकार से रखने पर यह 4 वर्ष तक खराब नहीं होता है।
गुणधर्म - यह लघु, तीक्ष्ण, रुक्ष, चरचरी, कटु और उषन होती है, अजवाइन दीपन-पाचन अनुलोमन, उधर क्रमीहारी, शूलनाशक और गर्भाशय उत्तेजक भी है। इसका सर्वाधिक उपयोग प्रभाव शूल हारी रूप में पाचन संस्थान पर पड़ता है। यहां कफहर, शोधनाशक, मूत्रकारक, ज्वर और विशहर तथा पौष्टिक भी होती है।
अजवाइन में एक प्रकार का सुगंधित उड़नशील तेल होता है, इसके सत्व थाइमोल कहते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें तारपीन, क्यूमिन तथा थायमिन आदि तत्व भी अलप मात्रा में पाए जाते हैं ।
सुप्रसिद्ध योग - यमानीखांडव, अर्क अजवाइन, यवनिकाक्वाथ, यमान्यादि चूर्ण आदि ।
विविध प्रयोग तथा उपयोग
उदर शूल - अजवाइन 50 ग्राम, खाने वाला नमक 25 ग्राम कूट पीसकर चूर्ण बना लें, मात्रा -3-3 ग्राम सुबह दोपहर शाम अथवा आवश्यकता अनुसार गर्म या ताजे जल से लें, पाचन विकृति संबंधी पेट की हर तरह की शूल पीड़ा इसे शांत होती है।
सर्व उदर रोग नाशक अजवाइन – अजवाइन को किसी चीनी या कांच के डब्बे में डालें अब उसमें नींबू का रस इतना भरे कि वह अजवाइन से दो उंगल डूब जाए, जब सूख जाए तो फिर इतना ही नींबू का रस भर दे। इस प्रकार नींबू का रस भरे और सुखाएं। फिर अजवाइन को छाया में या हल्की धूप में सुखाकर मिलाकर रख लें। फिर अजवाइन 250 ग्राम में 25 ग्राम काला नमक मिलाकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। मात्रा - 1-1 ग्राम यह चूर्ण भोजन के आधा घंटे बाद खाएं। सुबह-शाम इस प्रकार लेते रहने से उदरशूल, अफरा, गैस बनना, यकृत, प्लीहा की सामान्य विकार, अरुचि, अपच, कब्ज, आदि नष्ट हो जाते हैं । नींबू रस के स्थान पर गोमूत्र भी प्रयोग कर सकते हैं ।
चमत्कारी शोधी हुई - अजवाइन - अजवाइन 250 ग्राम, खाने वाला नमक 50 ग्राम तथा घृतकुमारी का गूदा 1 किलो । विधि - किसी हांडी में गलत कुमारी का गूदा व नमक डालकर मिला दें, इसके ऊपर से अजवाइन डालकर बर्तन को ढककर रख दें। जब यह सब सूख जाए तो अजवाइन को निकाल कर सुखा लें और पीसकर रख लें। मात्रा - 1 से 3 ग्राम तक दिन में दो बार भोजन के बाद, इससे उदरशूल, वायु गोला, प्लीहा, यकृत विकार, कब्ज, अरुचि, गैस, अग्निमांध,दस्त आते रहना, सूक्ष्म क्रमी विकार आदि मिटते हैं । अच्छी भली स्थिति में भी इसे लेते रहने से पाचन सही होता रहता है। नोट - धृत कुमारी के गूदे के स्थान पर इंद्रायण का गूदा इतनी ही मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं ।
मुख सौंदर्य वर्धक लेप - अजवाइन को अत्यंत बारीक पीसकर रख लें। प्रतिदिन रात्रि में अजवाइन चूर्ण तथा दही मिलाकर मुख पर लेप करें, प्रातः काल लेप हटाकर गर्म पानी से धो डालें, इस प्रकार कुछ दिन करने से झाई, कील मुंहासे मिट जाते हैं तथा मुख पर एक प्रकार का निखार आ जाता है।
पेचिश - अजवाइन 50 ग्राम तथा कलौंजी 25 ग्राम को कूटकर रखें । मात्रा 3-3 ग्राम 50 ग्राम दही में मिलाकर सुबह और फिर 6 घंटे बाद दे, बस प्रतिदिन 2 मात्राएं देते रहने से दो-तीन दिन में ही प्रवाहीका ठीक हो जाती है और खाने-पीने में परहेज करें
अफीम की आदत छुड़ाना - किसी भी रूप में अजवाइन एक से 2 ग्राम तक प्रतिदिन खाते रहने से अफीम के प्रति अरुचि जाग जाती है, अफीम का विष भी अजवाइन का चूर्ण लेने से उतर जाता है।
बच्चों की पेचीस व दस्त - अजवाइन का चूर्ण 1 किलो, कुटज की छाल 1 किलो को 16 लीटर पानी में डालकर रात भर रखा रहने दें। प्रातः काल भवके द्वारा इसका केवल 10 बोतल अर्क निकाले । इस अर्क को एक बार पुनः भवके में डालकर अर्क निकाल ले । यह अर्क दो से तीन चाय के चम्मच चार 4 घंटे बाद पिलाने से बच्चों को दस्त में बहुत जल्दी लाभ होता है। स्वस्थ बच्चों को भी कभी-कभी देते रहने से उनको पेट के रोग नहीं सताते हैं, वे स्वस्थ रहते हैं।
प्रसूता के रोग - प्रसव के बाद अजवाइन और गुड़ मिलाकर प्रातः शाम देते रहने से कटी शूल मिटता है, वायु शांत होती है एवं गर्भाशय शुद्ध हो जाता है, इससे भूख बढ़ती है और शरीर बलवान हो जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि स्तन दूध बढ़ाने में अजवाइन काफी प्रभावशाली होती है। अजवाइन आपके गर्भाशय को साफ करती है और ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच सौंफ और आधा चम्मच अजवाइन एक लीटर पानी में डालकर उबालें। इस पानी को आप रोजाना पिएं।
मासिक धर्म में लाभदायक
अगर आपको
मासिक धर्म में दर्द या अनियमितता की शिकायत है, तो आप अजवाइन का सेवन कर सकती हैं । इसके लिए आप मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर एक मुट्ठी अजवाइन डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। फिर इसे अगली सुबह पीसकर पी लें।
आपको फायदा होगा। या
गरम
दूध के साथ अजवायन का चूर्ण खाने से मासिक धर्म का रक्त खुलकर आने से गर्भाशय साफ़
हो जाता है और दर्द मिट जाता है.।
कई महिलाओं को पीरियड्स के वक्त कमर और पेट के
निचले हिस्से में बहुत दर्द
होता है. ऐसे में गुनगुने पानी के साथ अजवाइन लेने से दर्द में आराम मिलता है. हां, इस
बात का ध्यान रखिए कि अजवाइन की तासीर गरम होती है और अगर ब्लड फ्लो ज्यादा हो इसका इस्तेमाल नहीं
करना चाहिए.
सर्दी जुकाम मे अजवाइन
का उपयोग ।
· सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए 200 से 250 ग्राम अजवाइन को मलमल के कपड़े में
बांध लें। इसे पोटली बनाकर तवे पर गर्म
कर लें। इसे सूंघें। इससे सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।
· केवल अजवाइन का काढ़ा बनाकर पीने से
सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।
· 2-3 ग्राम अजवाइन के चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ पिएं।
इसे दिन में दो-तीन बार सेवन
करना है। इससे जुकाम, खांसी तथा सिर दर्द में लाभ होता
है।
· इसके अलावा आप 1 ग्राम
अजवाइन, 1 ग्राम सोंठ, तथा 2 नग लौंग को 200 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई (¼) बच जाए तो पानी को छानकर पिएं। इससे जुकाम व सर्दी में लाभ होता है।
· कफ वाली खांसी हो, और कफ अधिक निकलता हो, या फिर
बार-बार खांसी आती हो तो, 125 मिग्रा अजवाइन के रस में 2 ग्राम घी, और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसे दिन में 3 बार खाएं। इससे कफ वाली खांसी में लाभ होता है।
· इसी तरह 2 ग्राम मुलेठी और 1 ग्राम चित्रक-जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें 1 ग्राम अजवाइन मिलाकर रात में सेवन करें। इससे खांसी में लाभ होता है।
· 5 ग्राम अजवाइन को 250 मिली पानी में पकाएं। जब पानी आधा हो जाए, तो इसे छानकर नमक मिला लें। इसे रात को सोते समय पिएं। इससे खांसी में लाभ मिलता है।
जीर्ण ज्वर - अजवाइन के चमत्कारी गुणों में से 1 गुण यह भी है कि यहां जीर्ण ज्वर का नाश करती है
विधि - अजवाइन देसी 6 ग्राम, गिलोय 3 ग्राम इनको रात को थोड़े से पानी में भिगो दें और प्रातः काल घोटकर छानकर नमक मिलाकर पिला दे। इसे साधारण ज्वर 3 दिनों में और जीर्ण ज्वर 1 सप्ताह में उतर जाता है ।
अजवाइन का उपयोग कैसे करें –
हालांकि, हमने ऊपर अलग-अलग समस्याओं को लेकर अजवाइन इस्तेमाल
करने के तरीके बताए हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ आसान तरीके भी हैं, जो आप आजमा सकते हैं। नीचे हम बता रहे हैं कि अजवाइन का उपयोग कैसे करें :
- अजवाइन भूख बढ़ाने का काम भी करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ खाएं। इससे आपको अच्छी भूख लगेगी।
- अगर आपको गैस या पेट फूलने की समस्या है, तो अजवाइन को तवे पर भूनकर उसे नींबू व नमक के साथ चाटने से राहत मिलती है।
- आप पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अजवाइन का पानी भी पी सकते हैं।
- अगर आपको फ्लू या गले में खराश की समस्या है, तो एक चौथाई अजवाइन, एक चुटकी नमक और एक लौंग को मुंह में रखकर चूसें। आपको राहत महसूस होगी।
- इसके अलावा, खाना बनाते समय दाल या सब्जी में अजवाइन के साथ तड़का लगाने से खाना स्वादिष्ट भी बनेगा और उसे पचाने में आसानी भी रहेगी।
अजवाइन के नुकसान –
भले ही अजवाइन फायदे होती है, लेकिन अगर इसका अत्यधिक सेवन किया गया, तो यह नुकसान भी कर सकती है। नीचे हम अजवाइन के कुछ नुकसान बताने जा रहे हैं।
1. अगर अजवाइन का ज्यादा सेवन किया
जाता है, तो इससे आपको उल्टी और सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
2. अगर आपको मुंह में छाले, पेट में अल्सर या आंतरिक रक्तस्राव की समस्या है, तो अजवाइन का सेवन इन समस्या को और बढ़ा सकता है।
3. अगर आप अजवाइन का ज्यादा सेवन करते
हैं, तो एसिडिटी की समस्या कम होने की
जगह बढ़ सकती है।
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