अदरक- सोठ के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान – Ginger Benefits and side effects







अदरक और सोठ एक ही पदार्थ के दो रूप हैं, गीले रूप में यहां अदरक कहलाती है और सूखने पर यही सोठ हो जाती है, अदरक का बीज नहीं होता है, इसकी गिली गाँठो के टुकड़े को जमीन में दबा दिया जाता है, इसी से पौधे उगते हैं, इसके पत्ते बांस के पत्तों से मिलते जुलते होते हैं, इसके फूल भी कम ही देखे जाते हैं, जमीन के अंदर जो गांठे बैठती बढ़ती हैं, वही शीत ऋतु में खोद ली जाती है, इससे हल्की सुगंध भी पाई जाती है, इसके स्वाद में तिक्षन्ता होती है, यहां रेशे वाली तथा बिना रसे वाली दो प्रकार की होती है।  गुण लगभग समान होते हैं ।

अदरक और सोंठ का उपयोग भारत में अत्यंत प्राचीन काल से व्यापक रूप से मसाले के रूप मे आ रहा है । प्राचीन ग्रंथों विशेषकर आयुर्वेद ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है, अब इसकी खेती भी की जाती है, इसका पौधा दो से 4 फुट ऊंचा और लगभग डेढ़ फुट शाखाओं से युक्त हरा भरा होता है फूल हरिता बैगनी होते हैं ।





विभिन्न नाम संस्कृत - शुण्डी श्रृंगवेर, हिंदी- सोंठ, अदरक, अदरख, लेटिन- जिंजीबर आफिसिनेल




सामान्य मात्रा - अदरक की गाँठे या कंद ही प्रयोग में आती हैं, इसकी सामान्य मात्रा इस प्रकार है - सोठ का चूर्ण 1 से 2 ग्राम, स्वरस 10 से 15 ग्राम तथा अर्क 10 से 20 ग्राम।



गुणधर्म – यह उषणवीर्य, कटु, तीक्षण, अग्निदीपक, रुचिवर्धक, पाचक, कब्ज निवारक, कंठ तथा हृदय के लिए हितकारी है।  खांसी, श्वास, वात विकार, अजीर्ण, उदारवाद, वमन, शूल, सूजन, अरुचि, अफारा आदि में अत्यंत लाभदायक है । अदरक और सोंठ के सेवन से आमाशय रस में वृद्धि होती है, यह दस्तों और मलबंधदोनों में उपयोगी है । इसमें एक प्रकार का उड़नशील तेल जिनजरीन, म्युसीलेज तथा श्वेतसार आदि तत्व पाए जाते हैं। आधुनिक अंग्रेजी दवाओं में इसका काफी प्रयोग होता है। अदरक और सोंठ का उपयोग मसालों और घरेलू दवाओं के रूप में भी व्यापक तौर पर किया जाता है।

अदरक आंतों के लिए उत्तम टॉनिक है। पेट कि शायद ही कोई ऐसी तकलीफ होगी जो अदरक के रस से दूर न हो सके । रोजाना भोजन से पहले अदरक का कचूमर सेंधा नमक के साथ सेवन करने से अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है। इससे अमाशय में पाचक रसों की वृद्धि होती है। भूख लगती है तथा गैस नहीं बनती ।




अदरक से लाभ उठाने का एक अच्छा उपाय यह है कि गाजर आदि का जूस निकालते समय मशीन में थोड़ा सा अदरक भी डाल दिया जाए । अदरक का रस 20-25 ग्राम तक लिया जा सकता है। दमा, जुकाम तथा कसे पीड़ित व्यक्तियों के लिए अदरक का रस वरदान स्वरूप है ।



विविध प्रयोग तथा उपयोग



अदरक का सूखा मुरब्बा - मुरब्बा बनाने के लिए अदरक की उस जाति का चुनाव किया जाता है जिसमें रेशे बहुत कम होते हैं। यह जाति विशेष रूप से शीत ऋतु में उपलब्ध होती है। अदरक बड़े तथा मोटे आकार का होना चाहिए और जहां तक संभव हो नई फसल का होना चाहिए। यह फसल नवंबर के महीने में आमतौर से दार्जिलिंग की तरफ से आती है।

मुरब्बा बनाने के लिए आपको इस नुस्खे के अनुसार वस्तुएं लेनी होंगी, नुस्खा यहां है - छिलका उतारे हुए अदरक के तैयार टुकड़े 1 किलो, चीनी 1 किलो 500 ग्राम तथा साइट्रिक एसिड 5 ग्राम अर्थात एक चाय का चम्मच।



उपरोक्त गुणों वाली अदरक की अच्छी गांठे लेकर इनको छीलकर किसी तेज चाकू से इनके पतले पतले वर्क या चौकोर टुकड़े अथवा लंबे लंबे डंडे और काट ले। इनको अच्छी तरह धोकर प्रेशर कुकर में रखें और इसमें इतना पानी डालें जिससे यह टुकड़े डूबे रहे । इसमें ढाई ग्राम अर्थात आधा साइट्रिक एसिड मिलाकर कुकर में 20 मिनट तक आग पर पकाएं । अब कुकर को आंच पर से उतार लें और ठंडा होने पर इन टुकड़ों को पानी में से निकाल ले। अब 1-1/4 किलो चीनी 3/4 लीटर पानी और बाकी बचे हुये आधे साइट्रिक एसिड को मिलाकर शर्बत बनाएं । इस शरबत को आग पर इतना पकाए कि इसमें एक उबाल आ जाए। अब इसे बारीक कपड़े में छान लें । अब इस शरबत में अदरक के टुकड़े मिलाकर इस शरबत को 20 मिनट तक आग पर पकाएं।




अब इस चाशनी में अदरक को पड़ा रहने दें, अगले दिन अदरक सहित इसे फिर आंपर चढ़ा कर इतना पकाए की एक तार की चाशनी बन जाए, अब इसे फिर रात भर रखा रहने दें, अगले दिन फिर इसे उबालें यहां तक की चासनी 2 तर की बन जाए। अब इसको आंपर से उतार लें और 2 सप्ताह तक रखा रहने दें । इस बीच अदरक अच्छी तरह चीनी सोख लेगा । अब मुरब्बे को चलनी से छान लें, शक्कर में पके हुए अदरक के टुकड़ो को अब थाली में फैला दें और शेष बची हुई 250 ग्राम चीनी इन टुकड़ों के ऊपर फैला दें, इनको 1 दिन इसी प्रकार पड़ा रहने दे। इसके बाद जार या अन्य पात्रों में पैक कर दे। उपरोक्त फार्मूले से 2 किलो मुरब्बा तैयार होगा । साधारण मुरब्बा के विपरीत यह मुरब्बा सुखी दशा में होता है । यहां मुरब्बा स्वास, काश, अरुचि, अग्निमांध, अपन आदि में परम लाभदायक है, यह पाचन सुधरता है, शरीर को बल देता है, और हृदय के लिए भी उपयोगी है, यहां सूखा मुरब्बा कभी खराब नहीं होता है, डिब्बों के अंदर सालों साल पड़ा रहने पर भी वही स्वाद बना रहता है ।

नोट - प्रेशर कुकर में अदरक को जिस पानी में उबाला जाता है उसे फेंक के नहीं बल्कि आंपर औटाकर थोड़ा और गाढ़ा करके इसमें चीनी मिलाकर तथा पकाकर अदरक का शरबत तैयार कर सकते हैं अथवा एक-दो दिन में ही प्रयोग करना हो तो अगली बार अदरक के टुकड़े इसी पानी में उबाल सकते हैं ।

इस मुरब्बे में साइट्रिक एसिड है अतः इसे पीतल के बर्तन में कभी तैयार ना करें ।



अदरक का शरबत - अदरक का रस 500 ग्राम, चीनी 1 किलो, पानी आधा लीटर, साइट्रिक एसिड 15 ग्राम, सोडियम बेंजोएट 2 ग्राम, चीनी को पानी में घोलकर इसमें साइट्रिक एसिड मिलाएं और फिर आंपर रखकर एक उबाल देकर कपड़े से छानकर चासनी को ठंडी कर लें। इसके बाद कपड़े से छानकर अदरक का रस इसमें मिला दें । अब अलग से जरा से पानी में सोडियम बेंजोएट घोलकर उक्त मिश्रण में मिला दे। शरबत तैयार है । शरबत रखने के लिए जो बोतल प्रयोग की जाए उन्हें तथा उन पर लगने वाली ढक्कन को 10-15 मिनट तक पानी में उबालकर जीवाणु मुक्त कर लेना चाहिए।

नोट - यदि इस शरबत को 15-20 दिन के अंदर ही प्रयोग करना हो तो इसमें सोडियम बेंजोएट प्रिजर्वेटिव मिलाने की जरूरत नहीं है। व्यापार के लिए शरबत बनाने में इसे मिलाना आवश्यक हो जाता है। इस नुस्खे में अदरक के रस की मात्रा कम भी की जा सकती है। इस शर्बत को पीतल के बर्तन में तैयार नहीं करें ।




अदरक का पाक - अदरक 500 ग्राम को छिलका उतारकर सील पर पीस लें। फिर एक लोहे की कढ़ाई में 150 ग्राम देसी घी और पिसी हुई अदरक को मिलाकर धीमी आंच पर भून लें। अदरक जलने ना पाए, पर बन जाए फिर इसमें 1 किलो दूध डालकर पकाएं, बीच-बीच में चलाते रहें, जब यह खूब गाढ़ा हो जाए तो इसी में 500 ग्राम चीनी तथा निम्न तीन चीजें महीन महीन पीसकर मिला दें, काली मिर्च 10 ग्राम, छोटी पीपल 10 ग्राम, छोटी इलायची दाने 10 ग्राम, वायवीडिंग 10 ग्राम, दालचीनी 5 ग्राम, असली वंशलोचन वंशलोचन 25 ग्राम। मात्रा - 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम दूध की चाय के साथ ले।



यह पाक बलवर्धक है, इससे श्वास, खांसी, गैस बनना, अरुचि, शारीरिक दुर्बलता, वायु रोग आदि दूर होते एवं पाचन क्रिया में सुधार होता है। यथोड़ी चौथाई मात्रा में बच्चों को भी दिया जा सकता है इससे शरीर में रोगों से बचे रहने की क्षमता आती है । जाड़ों में इसे लेते रहना अति हितकर होता है ।



श्वास खांसी - अदरक का रस एक से दो चम्मच में इतना ही शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटे ।





अजीर्ण, अग्निमांध, उदरवात, शूल आदि - अदरक के रस में 100 ग्राम अजवाइन को भिगो दें, रस इतना हो कि अजवाइन के ऊपर तक आ जाए, जब रस सूख जाए तो पुनः भरे, इस प्रकार तीन बार अदरक रस में भावना देखकर अजवाइन सुखाकर और पीसकर रखें। मात्रा – 1-1 चम्मच दिन में तीन बार। इससे उर के उपयुक्त सभी रोगों में लाभ होता है।

शोथ - अदरक का रस 10 ग्राम, पुराना गुड़ को 20 ग्राम में मिलाकर इसी तरह सुबह-शाम गर्म जल के साथ सेवन करने से वायु कफ जनित सूजन में लाभ होता है






अदरक का उपयोग –

ज्यादातर लोग सब्जी में अदरक डालकर तड़का लगाते हैं। इसके अलावा और भी कई तरीके हैं, जिनके जरिए आप अदरक का सेवन कर सकते हैं।

·         अदरक का अचार बनाकर आप इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह आपको स्वादिष्ट भी लगेगा और आपको अदरक के फायदे भी पता चलेंगे।

·         इसके अलावा, अदरक की चाय भी काफी प्रसिद्ध है। आप अदरक वाली चाय बनाकर पी सकते हैं।

·         वहीं, अदरक के पाउडर का भी सेवन किया जा सकता है।

·         इसके अलावा, अदरक को लंबा और पतला काट कर इस पर नमक-मिर्च और अपनी पसंद का मसाला लगाकर धूप में सुखा लें। फिर इसे आप कभी भी खा सकते हैं। आपका पाचन अच्छा रहेगा।

अदरक के नुकसान –

इसमें कोई दो राय नहीं है कि अदरक काफी गुणकारी होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर अदरक के नुकसान भी हो सकते हैं। नीचे हम इन्हीं के बारे में बता रहे हैं :

डायबिटीज : अदरक को खाने से आपका इंसुलिन स्तर बढ़ सकता है। यह आपके शरीर में शर्करा की मात्रा घटा सकता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज अदरक का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।





मासिक धर्म चक्र : कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अतिरिक्त रक्तस्राव होने की समस्या हो सकती है।





हृदय : अदरक का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से आपके ह्रदय को हानि पहुंच सकती है। इसलिए, इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।





त्वचा : यूं तो अदरक आपकी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। ऐसे में उन्हें अदरक को स्किन पर लगाने से जलन हो सकती है।






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