हर्निया क्या है ?

हर्निया को हिन्दी में आंत उतरना या अत्रवृद्धि भी  कहते है  हर्निया आमतौर पर पेट में होता है लेकिन यहां जांघ के ऊपर से नाभि और कमर के आसपास भी हो सकता है अधिकांश हर्निया घातक नहीं होते हैं लेकिन यह अपने आप भी ठीक नहीं होते हैं कुछ परिस्थितियों में हर्निया की जटिलताओं से बचने के लिए सर्जरी करानी पड़ती है। जो पुरुषों व महिलाओं दोनों को हो सकती है। (हर्निया ऐसी बीमारी है जो अंग के अतिरिक्त विकास के कारण उत्पन्न होती है, यानी अगर शरीर का कोई अंग अपनी सामान्य स्थिति से अधिक बढ़ जाये तो वह हर्निया है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।)

हर्निया क्यों और कसे होता है  



कारण -

शरीर की कमजोरी विशेषकर पेडू में अनावश्यक पदार्थों का भार पडने के कारण पेट की मांसपेशियों कीं कमजोरी की वजह से इस रोग की उत्पत्ति होती है  इसमें उस स्थान पर जहां वे पेशियाँ एक दूसरे को पास करती हुई छल्ले का रूप धारण करती है आपस में तन्त्र विच्छेद हो जाती है ओंर उदरावरण जिसमें पेट के सारे पाचन तन्त्र रहते हैं  निम्नलिखित कारणों से भार से दबकर आन्त के साथ नीचे लटक आता है  इसे ही हर्निया कहते हैं  

1. कब्ज होने पर मल के दबाव से। 
2. कठिन व्यायाम करने से  
3. खांसी, छींक, जोर से हंसने से या कूदने से  
4. पेट में वायु का प्रकोप होने से  
5. मल मूत्र के वेग को रोकने से। 
6. भारी बोझ उठाने से  
7. भोजन संबधित गडबडी से  
8. शराब के कारण पेशिया फूल जाने से  
9. शरीर को अनावश्यक टेढा मेढा करने से  आदि कारणो से हर्निया होता है  

हर्निया के लक्षण


आंत उतरती है और जब तक वापस अपने स्थान पर पुन: पहुंच नहीं जाती तब तक अस्वाविकता के कारण अत्याधिक पीडा होती है  हर्निया वास्तव में सूजन नहीं होती बल्कि उतरी हुई आंत के कारण त्वचा में सूजन जैसा उभार दिखाई देता है  जो आरंभिक अवस्था में सिर्फ लेट जाने से गायब हो जाती है  यदि इस  कें भा की जगह वास्तव में कोई सूजन होती तो वह लेटने पर या दबाने पर गायब नहीं होती 


हर्निया भी भी और किसी को भी हो सकता है। हर्निया साधारणत: अण्डकोष के एक तरफ, पेडू  जंघा के जो में या दोनो तरफ भी हो सकता है  हर्निया रोग के होने की एक खास पहचान यह भी है कि ऐसे रोगी की नाभि बाहर की तरफ निकल आती है ओंर दबाने पर भीतर ली जाती है  हर्निया का प्रमुख कारण कब्ज है  इस कारण उपचार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिऐ  



उपचार 

1. कब्ज  हो इसके लिए सुबह बिना कुल्ला किए कम से दो गिलास गुनगुना पानी पिएँ ।
2. भोजन में हरी पत्तेदार साग सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए  पालक, पत्तागोभी, गाजर, ककडी, टमाटर ज्यादातर खायें  
3. वेसन  मैदा से बनी चीजे  खाएँ।  
4. गैंहू चना, मूंग, मोठ और मेथी दाना आदि को अपने स्वादानुसार बदल-2 कर अंकुरित कर हल्की भा में पकाकर नाश्ते में खाएँ  
5. चोकर समेत टे की रोटी खाएँ  
6. मिर्च मसाले, अचार, खटाई, ठंडे पेय पदार्थ आदि का सेवन  करें  
7. रोजाना पपीता जरूर खायें  
8. अमरूद, संतरा काटकर उस पर काला नमक, काली मिर्च पाउडर छिड़क कर थोड़ा सा नींबू का रस डालकर खाएँ  
9. रात का भोजन जल्दी  हल्का करें  
10. रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गरम दूध के साथ लें  
11. सप्ताह में एक दिन का उपवास जरूर करें। 
12. रोगी को नरम बिस्तर पर  सोकर तख्त पर सोना चाहिए सिरहाना कुछ ऊँचा होना चाहिए  
13. स्थाई लाभ के लिए रूग् स्थान पर प्रतिदिन चित्त लेट कर 5 से 10 मिनट तक मालिश करनी चाहिए, यदि शिकायत पेडू कें दाहिनी तरफ हो तो हाथ दाँए से बाँए घुमाकर मालिश करनी चाहिए, यदि बाँए तरफ हो तो मालिश के लिए हाथ बाँए से दाँए घुमाना चाहिए ।  मालिश के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करें 



हर्निया के रोगी को निम्नलिखित व्यायाम प्रतिदिन ना चाहिए -  

1. रोगी को चारपाई पर सीधा लिटा दें, पैरों को किसी से पकड़वा लीजिए या पटटी से चौकी के साथ बांध दीजिए और हाथ कमर पर रखिए, अब सिर और कंधे को छाती से 6 इंच उठाकर बदन को पहले बायीं और फिर पूर्व स्थिति में आकर और फिर बदन को उठाकर दाहिनी और मोडिये, यह कसरत कुछ कडी पडती है, इसलिए इस बात का ख्याल रखिये कि अघिक जोर  पड़े पहले इतनी ही कोशिश कीजिये जिसमें पेशियों पर तनाव  आये घीरे-धीरें बढाकर इसे पूरा कीजिये  
2. सीधे लेटकर घुटनों को मोड़टे हुए पेट की तरफ ले जाकर दबाए  
3. बिना घुटना मोडे हुए पाँव कमर तक ऊपर करें, एक मिनट रुके फिर धीरे-धीरे पाँव नीचे लाए 
4. भुजंगासन, सर्वांगासणन, पश्चिमोतानासन, शलभासन प्रतिदिन खाली पेट करें 

अपने आप पर पर पूर्ण विश्वास करें अवश्य लाहोगा, खाने के बीच में पानी  पीए, खाने के दस मिनट बाद पानी पिए खाने को शांत मन से चबा कर खायॅ खाने के बाद पाँव मिनट तक वज्रासन करे।

हर्निया का इलाज है सर्जरी -

हर्निया होने पर उसका एकमात्र सफल और कारगर उपाय ऑपरेशन ही है। हर्निया के उपचार के लिए कई तरह के ऑपरेशन किया जाते हैं। इसके ऑपरेशन के बाद रोगी को पूरी तरह ठीक होने में 1 से 2 महीने का समय लग सकता है। हर्निया के लगभग 90 प्रतिशत मामलों में दोबारा हर्निया होने की आशंका नहीं रहती जबकि 10 प्रतिशत मामलों में वह दोबारा हो सकती है।


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